संस्कृत एक प्राचीन भाषा है, जो अपनी समृद्ध साहित्यिक और दार्शनिक विरासत के लिए जानी जाती है। यह दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है, जिसका इतिहास 3,000 साल से भी पुराना है। संस्कृत भाषा को वेदों की भाषा भी कहा जाता है।
संस्कृत भाषा की उत्पत्ति
संस्कृत की उत्त्पत्ति 3000 वर्ष पहले भारत में हुआ था। संस्कृत का उपयोग करके प्राचीन वेदों और ग्रंथों को लिखा गया है। इस भाषा से कई आधुनिक भाषा का विकास हुआ हैं। प्राचीन काल से ही संस्कृत भाषा की व्याकरण विकसित है। वेद, उपनिषद, महाभारत, रामायण और पुराणों सहित कई ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं। इसका उपयोग अनुष्ठानों में भी किया जाता है।
संस्कृत ने हिंदी, बंगाली और मराठी जैसी कई आधुनिक भाषाओं को प्रभावित किया है। इसने अंग्रेजी जैसी भाषाओं में खासकर वैज्ञानिक और दार्शनिक दृष्टि से कई शब्दावली का योगदान दिया है। हालाँकि संस्कृत अब आम तौर पर बोली जाने वाली भाषा नहीं है, लेकिन इसका उपयोग अभी भी धार्मिक संदर्भों में किया जाता है।
संस्कृत भाषा के प्रकार
संस्कृत की जड़ें प्राचीन साहित्य और संस्कृति से जुड़ी हैं। संस्कृत भाषा भाषा का संबंध इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार से है। संस्कृत की निम्नलिखित 5 प्रकार हैं।
1. वैदिक संस्कृत - यह वेदों की भाषा है, जो सबसे पुराने हिंदू धर्मग्रंथ हैं। वैदिक संस्कृत की विशेषता इसकी जटिल व्याकरण और उच्चारण प्रणाली है।
वैदिक संस्कृत जो 1500 ईसा पूर्व और 1200 ईसा पूर्व के बीच बोला और लिखा जाता था। वैदिक संस्कृत ने कई प्राचीन पौधों व जानवरों के नाम में योगदान दिया है। इसके अलावा, प्राचीन द्रविड़ भाषाओं जैसे तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम ने संस्कृत की ध्वनिविज्ञान को प्रभावित किया हैं।
2. शास्त्रीय संस्कृत - चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में व्याकरणविद पाणिनि ने संस्कृत भाषा के व्याकरण और उच्चारण को सुव्यवस्थित किया है। शास्त्रीय संस्कृत पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व उभरा था। महान नाटककार कालिदास जी ने शास्त्रीय संस्कृत में अपना लेख लिखा हैं। आधुनिक अंकगणित की नींव पहली बार शास्त्रीय संस्कृत में वर्णित है।
3. महाकाव्य संस्कृत - महाकाव्य, रामायण और महाभारत ये सभी आधारभूत ग्रंथ हैं और इनका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है। इन महाकाव्यों की भाषा शास्त्रीय संस्कृत है। यह वैदिक संस्कृत के बाद विकसित हुआ था।
सबसे प्रसिद्ध कवियों और नाटककारों में से एक कालिदास ने रघुवंश और कुमारसंभव की रचना शास्त्रीय महाकाव्य में किया है। अन्य शास्त्रीय महाकाव्य में माघ द्वारा रचित शिशुपाल वध, भारवि द्वारा रचित किरातार्जुनीय, श्रीहर्ष द्वारा रचित नैषधचरित और भट्टी द्वारा रचित भट्टिकाव्य शामिल हैं।
4. बौद्ध संकर संस्कृत - यह प्रारंभिक प्राकृत से विकसित हुआ हैं जिसका उपयोग बौद्ध साहित्य में किया गया है। इसका उपयोग बौद्ध ग्रंथों और शास्त्रों में मिलता है। बौद्ध संकर संस्कृत में लिखे गए महत्वपूर्ण बौद्ध ग्रंथों में महावस्तु और ललिताविस्तार के खंड शामिल हैं। इन ग्रंथों में अक्सर संस्कृत व्याकरण के नियमों को शामिल करते हुए पुराने भाषाई रूपों को संरक्षित किया गया है।
5. आधुनिक संस्कृत - आधुनिक संस्कृत का तात्पर्य संस्कृत भाषा के समकालीन उपयोग से है। जिसका उपयोग शैक्षिक, सांस्कृतिक और धार्मिक क्षेत्रों में होता है। जबकि संस्कृत को प्राचीन शास्त्रीय भाषा माना जाता है, आधुनिक काल में इसकी प्रासंगिकता बनाए रखने के प्रयास किए गए हैं।
संस्कृत कई स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है। संस्कृत हिंदू अनुष्ठानों, समारोहों और पवित्र ग्रंथों के पाठ का अभिन्न अंग है। इसका उपयोग हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में किया जाता है। कुछ भारतीय समुदायों ने संस्कृत को दैनिक भाषा के रूप में बोलने की पहल की है। कर्नाटक के मत्तूर गाँव में संस्कृत सामान्य भाषा की तरह बोली जाती है।
संस्कृत भाषा की लिपि
संस्कृत को पहली शताब्दी के आसपास ब्राह्मी लिपि में लिखी जाती थी। लेकिन आधुनिक युग में देवनागरी में लिखी जाती है। संस्कृत को आठवीं अनुसूची की भाषाओं में शामिल किया गया है। पुनरुद्धार के प्रयासों के बावजूद संस्कृत को प्रथम भाषा का रूप प्राप्त नहीं हुआ है।
भारत में कुछ हजार लोग ही संस्कृत को अपनी मातृभाषा मानते है। प्राचीन काल से ही पारंपरिक गुरुकुलों में संस्कृत पढ़ाई जाती थी। लेकिन आज माध्यमिक विद्यालय स्तर तक ही सिमित रह गया है। सबसे पुराना संस्कृत कॉलेज बनारस संस्कृत विद्यालय है जिसकी स्थापना 1791 में की गयी थी। संस्कृत भाषा का उययोग भजनों और मंत्रों में अधिक किया जाता है। ऐतिहासिक रूप से संस्कृत धार्मिक और चिकित्सा की भाषा थी।