गोबी मरुस्थल कहां है - Gobi Desert

गोबी मरुस्थल एशिया का एक अत्यंत विशाल और रहस्यमय रेगिस्तान है, जो अपनी कठोर जलवायु, पथरीली भूमि और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह दुनिया का छठा सबसे बड़ा रेगिस्तान है और इसे ठंडा रेगिस्तान भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ सर्दियों में तापमान बहुत नीचे चला जाता है।

गोबी मरुस्थल कहां है

गोबी रेगिस्तान दक्षिणी मंगोलिया और उत्तरी चीन में स्थित एक बड़ा ठंडा रेगिस्तान है। इसमें रेगिस्तान के साथ-साथ घास के मैदान भी पाए जाते हैं। यह दुनिया का छठा सबसे बड़ा रेगिस्तान माना जाता है।

गोबी नाम मंगोलियाई भाषा से आया है, जिसका अर्थ है बिना पानी वाला इलाकाचीन में यह शब्द रेत वाले रेगिस्तान से ज़्यादा पथरीले और अर्ध-रेगिस्तानी क्षेत्रों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यही कारण है कि गोबी मरुस्थल अधिकांश लोगों की कल्पना से अलग दिखाई देता है।

गोबी रेगिस्तान दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व तक लगभग 1,600 किमी और उत्तर से दक्षिण तक लगभग 800 किमी तक फैला हुआ है। इसका कुल क्षेत्रफल करीब 12.95 लाख वर्ग किलोमीटर है।

यह रेगिस्तान पश्चिम की ओर सबसे ज्यादा चौड़ा है। गोबी का क्षेत्र पामीर की पहाड़ियों से लेकर ग्रेटर खिंगन पर्वतों तक फैला है और मंचूरिया की सीमा तक पहुँचता है। उत्तर में अल्ताई और सायन पर्वत हैं, जबकि दक्षिण में कुनलुन और किलियन पर्वत स्थित हैं, जो तिब्बती पठार की उत्तरी सीमा बनाते हैं।

गोबी रेगिस्तान का अधिकांश हिस्सा रेत से भरा नहीं है, बल्कि यह खुले, पथरीले और नंगी चट्टानों वाले क्षेत्र जैसा दिखाई देता है। कुछ स्थानों पर रेत के टीले भी हैं, लेकिन वे सहारा जैसे विशाल नहीं होते। यही कारण है कि गोबी को पथरीला रेगिस्तान भी कहा जाता है।

जलवायु और तापमान

गोबी मरुस्थल की जलवायु अत्यंत कठोर है। यहाँ गर्मी और सर्दी के तापमान में बहुत बड़ा अंतर पाया जाता है।

  1. गर्मियों में तापमान 40°C तक पहुँच सकता है
  2. सर्दियों में तापमान –40°C तक गिर सकता है

यहाँ वर्षा बहुत कम होती है, लेकिन सर्दियों में कई बार बर्फबारी भी होती है। तेज हवाएँ यहाँ आम हैं, जो धूल भरी आँधियों का कारण बनती हैं।

वनस्पति और जीव-जंतु

कठोर परिस्थितियों के बावजूद गोबी मरुस्थल में जीवन मौजूद है। यहाँ की वनस्पति में झाड़ियाँ, छोटी घास और सूखा सहने वाले पौधे शामिल हैं।

  • ऊँट
  • हिम तेंदुआ
  • मंगोलियाई घोड़ा
  • भेड़िया
  • लोमड़ी
  • छिपकलियाँ और सांप

ये सभी जीव अत्यंत कम पानी और कठिन मौसम में जीवित रहने के लिए अनुकूलित हैं।

गोबी मरुस्थल का ऐतिहासिक महत्व भी बहुत बड़ा है। प्राचीन सिल्क रोड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा गोबी से होकर गुजरता था। इस मार्ग से चीन, भारत, मध्य एशिया और यूरोप के बीच व्यापार होता था।

इसके अलावा, गोबी मरुस्थल डायनासोर जीवाश्मों के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। 20वीं सदी में यहाँ से डायनासोर के अंडे और कंकाल खोजे गए, जिसने वैज्ञानिक दुनिया को चौंका दिया।

गोबी मरुस्थल में जनसंख्या बहुत कम है। यहाँ रहने वाले लोग मुख्य रूप से घुमंतू पशुपालक होते हैं, जो ऊँट, भेड़ और बकरियाँ पालते हैं। ये लोग मौसम के अनुसार अपना स्थान बदलते रहते हैं और प्राकृतिक संसाधनों का सीमित उपयोग करते हैं।

आज गोबी मरुस्थल खनिज संसाधनों के कारण चर्चा में है। यहाँ कोयला, तांबा और अन्य खनिज पाए जाते हैं। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन और मरुस्थलीकरण के कारण गोबी क्षेत्र धीरे-धीरे फैल भी रहा है, जिससे आसपास के कृषि क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं।

गोबी मरुस्थल केवल एक सूखा और बंजर इलाका नहीं है, बल्कि यह भौगोलिक, ऐतिहासिक और वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इसकी कठोर जलवायु, अनोखी बनावट, समृद्ध इतिहास और दुर्लभ जीव-जंतु इसे दुनिया के सबसे खास रेगिस्तानों में शामिल करते हैं। गोबी हमें यह सिखाता है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी जीवन अपना रास्ता खोज लेता है।