मालदीव की राजधानी क्या है - Capital of Maldives

मालदीव दक्षिण एशिया में स्थित एक द्वीपसमूह देश है। यह हिंद महासागर में भारत और श्रीलंका के पास फैला हुआ है। सुंदर समुद्र तट, नीला पानी और छोटे-छोटे द्वीप इसे खास बनाते हैं। मालदीव अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। साथ ही, यहाँ की संस्कृति, इतिहास और पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियाँ भी इसे एक महत्वपूर्ण देश बनाती हैं।

मालदीव की राजधानी क्या है

मालदीव की राजधानी क्या है

मालदीव में 26 प्रवाल द्वीप समूह हैं, जो भूमध्य रेखा के पास उत्तर से दक्षिण तक फैले हुए हैं। इसका कुल भूमि क्षेत्र बहुत छोटा है, लेकिन इसके द्वीप एक बड़े समुद्री क्षेत्र में फैले हुए हैं। इसी वजह से मालदीव दुनिया के सबसे अधिक फैले हुए देशों में गिना जाता है।

मालदीव दुनिया के सबसे छोटे और सबसे निचले देशों में से एक है। यहाँ की औसत ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 1.5 मीटर ही है। सबसे ऊँचा स्थान भी बहुत अधिक नहीं है। इसी कारण समुद्र स्तर बढ़ने से मालदीव को सबसे ज्यादा खतरा है।

माले मालदीव की राजधानी है। यह देश का राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र है। यहाँ घनी आबादी, संकरी गलियाँ और रंगीन इमारतें हैं। माले बाकी शांत और सुंदर रिसॉर्ट द्वीपों से बिल्कुल अलग दिखाई देता है।

लोग और संस्कृति

लगभग 5 लाख की आबादी के साथ, मालदीव एशिया के सबसे कम आबादी वाले देशों में से एक है, लेकिन यहाँ जनसंख्या घनत्व काफी अधिक है। यहाँ के लोगों को धिवेहिन कहा जाता है और वे धिवेही भाषा बोलते हैं, जिस पर संस्कृत, अरबी और द्रविड़ भाषाओं का प्रभाव है।

मालदीव की संस्कृति दक्षिण एशिया, अरब और अफ्रीका के प्रभावों का सुंदर मिश्रण है। यह प्रभाव पुराने समुद्री व्यापार के कारण बने हैं। बोडुबेरु जैसे पारंपरिक संगीत और नृत्य आज भी लोकप्रिय हैं। 12वीं शताब्दी से अपनाया गया इस्लाम, आज भी यहाँ के सामाजिक और धार्मिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मालदीव में लोग 2,500 साल से भी अधिक समय से रह रहे हैं। मान्यताओं के अनुसार यहाँ सबसे पहले धेवी लोग बसे थे, और इसके इतिहास के प्रमाण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक मिलते हैं। 12वीं शताब्दी में अरब और फ़ारसी व्यापारियों के साथ इस्लाम यहाँ पहुँचा, जिसके बाद मालदीव एक सल्तनत बना और एशिया व अफ्रीका से उसके संबंध मजबूत हुए।

16वीं शताब्दी के बाद यूरोपीय शक्तियों ने मालदीव में दखल देना शुरू किया। पहले पुर्तगालियों का प्रभाव रहा, फिर डच और बाद में ब्रिटिश आए। 1887 में मालदीव ब्रिटेन का संरक्षित राज्य बना, लेकिन अपनी आंतरिक राजशाही बनी रही।

1965 में मालदीव को स्वतंत्रता मिली। इसके तीन साल बाद, 1968 में, सल्तनत समाप्त कर राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। तब से देश ने कई राजनीतिक बदलाव देखे हैं और लोकतंत्र को मजबूत करने की कोशिशें लगातार जारी हैं।

नाम की उत्त्पति

मालदीव नाम की उत्पत्ति भी रोचक है। माना जाता है कि यह संस्कृत के शब्द माला और द्वीप से मिलकर बना है, जो द्वीपों की श्रृंखला जैसी बनावट को दर्शाता है। इसी अर्थ से जुड़े नाम सिंहल, तमिल, मलयालम और कन्नड़ भाषाओं में भी मिलते हैं।

अरब व्यापारी इन द्वीपों को अलग-अलग नामों से जानते थे, जबकि श्रीलंकाई ग्रंथ महावंश में इसे महिलादिवा यानी महिलाओं का द्वीप कहा गया है। समय के साथ इसके कई नाम रहे, लेकिन द्वीपों की माला नाम इसके भूगोल और सुंदरता को सबसे अच्छी तरह दर्शाता है।

अर्थव्यवस्था और विकास

मत्स्य पालन लंबे समय से मालदीव की अर्थव्यवस्था का आधार रहा है और आज भी लोगों की आजीविका और भोजन का मुख्य साधन है। पिछले कुछ वर्षों में पर्यटन ने देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से बदला है। सुंदर और शांत द्वीपों पर बने रिसॉर्ट हर साल बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जिससे पर्यटन एक प्रमुख उद्योग बन गया है।

मालदीव की प्रति व्यक्ति आय अन्य दक्षिण एशियाई देशों की तुलना में अधिक है और यह मानव विकास के मामले में भी अच्छा स्थान रखता है। फिर भी, देश की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन और मत्स्य पालन पर निर्भर है, इसलिए वैश्विक मंदी, महामारी और जलवायु परिवर्तन जैसे बाहरी संकटों का इस पर सीधा असर पड़ता है।

मालदीव कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों का सदस्य है और दुनिया के सामने समुद्र स्तर बढ़ने के खतरे को लगातार उठाता रहा है। जलवायु परिवर्तन उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि यहाँ के अधिकांश द्वीप समुद्र तल से बहुत थोड़ी ऊँचाई पर हैं। समुद्र का बढ़ता स्तर, प्रवाल भित्तियों को नुकसान और तटीय कटाव देश के भविष्य के लिए गंभीर खतरे हैं।

मालदीव विरोधाभासों से भरा देश है - भूमि में छोटा लेकिन समुद्र में विशाल, बेहद निचला लेकिन बेहद सुंदर। इसकी पहचान इतिहास, संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता से बनी है। द्वीपों की माला के रूप में मालदीव न केवल एक पर्यटन स्थल है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक संघर्ष में भी एक महत्वपूर्ण आवाज़ है।