जैव भू रासायनिक चक्र क्या है - biogeochemical cycle in hindi

जीवमंडल में प्राणियों तथा वातावरण के बीच रासायनिक पदार्थों के आदान-प्रदान की चक्रीय गति को जैव भू रासायनिक चक्र कहते है। पृथ्वी के वातावरण में सभी तत्वों की एक निश्चित मात्रा होती हैं। जिसकी आवश्यकता जीवधारियों को हमेशा रहती है।

इन तत्वों को जैविक घटक और अजैविक घटक कहते हैं। ये भूमि और वायुमण्डल में मौजूद होते है। और वहां से पुनः जीवधारियों के बीच चक्रीय गति से पहुंचते हैं। यह क्रिया लगातार चलता रहता है। 

कुछ जैव भू रासायनिक चक्र निम्नलिखित है -

1. गैसीय चक्र - इसमें कार्बन डाइ ऑक्साइड, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन चक्र आते हैं।
2. सेडिमेंट्री चक्र - इस चक्र मे फास्फोरस, सल्फर आदि आते हैं।
3. जलीय चक्र - इस चक्र के द्वारा वायुमण्डल और वातावरण के बीच जल का आदान-प्रदान होता है।

जैव भू रासायनिक चक्र क्या है - biogeochemical cycle in hindi

जैव भू रासायनिक चक्र क्या है

जैव भू रासायनिक चक्र जिसे भु-रसायन चक्र भी कहा जाता है। इसमें प्राकृतिक या जैविक कारण से पृथ्वी के तत्व का एक सर्कल में चक्र चलता रहता है। उसे ही जैव भू रासायनिक चक्र कहते है। 

जैसे जल का वाष्प में परिवर्त होना फिर पानी बनाना अधिक ठंड में बर्फ का बनाना यही जल चक्र है। इसी प्रकार ऑक्सीजन कार्बन और अन्य गैस का भी एक निश्चित क्रम में चक्र चलता रहता है। ये सभी जैव भू रसायन चक्र के अंतर्गत आते है।

जैव भू रासायनिक चक्र के प्रकार नीचे दिए गए है। 

जैव रासायनिक चक्र - नाइट्रोजन चक्र, ऑक्सीजन चक्र, कार्बन चक्र, फास्फोरस चक्र और जल चक्र हैं। जैव भू रासायनिक चक्रों में हमेशा संतुलन की स्थिति होती है।

1. नाइट्रोजन चक्र

वायुमंडल में 78% नाइट्रोजन होती है। वायुमंडल नाइट्रोजन का मुख्य स्रोत है, लेकिन जीव इस नाइट्रोजन को वायुमंडल से सीधे अवशोषित नहीं कर सकते हैं। या वे इसे अवशोषित करने में असमर्थ हैं। केवल कुछ बैक्टीरिया, पानी और जमीन में रहने वाले नीले-हरे शैवाल और कुछ जीव ही नाइट्रोजन का सीधे उपयोग कर सकते हैं।

पौधे नाइट्रेट आयनों को अमीनो समूहों में बदल देते हैं, जिन्हें वे मिट्टी से अवशोषित करते हैं। पौधों से नाइट्रोजन शाकाहारी जीवों के शरीर में पहुँचती है और उनसे मांसाहारी जीवों में पहुँचती है। 

पानी और मिट्टी में मौजूद नाइट्रेट भी नाइट्रोजन का मुख्य स्रोत हैं। पौधे नाइट्रेट को अवशोषित करके उन्हें अमीनो एसिड और प्रोटीन में बदल देते हैं। इन्हें जीवित जीवों द्वारा अवशोषित किया जाता है। 

बैक्टीरिया मृत पौधों और जानवरों के शरीर में मौजूद नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक पदार्थों और उत्सर्जी पदार्थों पर क्रिया करते हैं और उन्हें वापस नाइट्रेट में बदल देते हैं, जिन्हें पौधे फिर से अवशोषित कर लेते हैं और यह चक्र फिर से चलता रहता है।

पूर्ण जानकारी : नाइट्रोजन चक्र

2. ऑक्सीजन चक्र

पृथ्वी पर ऑक्सीजन सबसे प्रचुर तत्वों में से एक है, और इसका अधिकांश भाग क्रस्ट और मेंटल में पाए जाने वाले सिलिकेट और ऑक्साइड खनिजों में मौजूद है। पृथ्वी के वायुमंडल, जलमंडल और जीवमंडल में कुल ऑक्सीजन का 0.05% से भी कम भाग है।

ऑक्सीजन चक्र

वायुमंडल में 21% ऑक्सीजन है। ऑक्सीजन को जीवित जीव श्वसन के माध्यम से अवशोषित करते हैं। यह कार्बोहाइड्रेट को ऑक्सीकृत करके पानी और कार्बन डाइऑक्साइड बनाता है। ऑक्सीजन चक्र पृथ्वी के विभिन्न भागों - हवा, पानी, जीवित प्राणियों और भूमि से होकर गुजरता है। ऑक्सीजन मुख्य रूप से O₂ के रूप में मौजूद है और सांस लेने, प्रकाश संश्लेषण और अपक्षय जैसी प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा चक्र के माध्यम से आगे बढ़ती है।

जीव की मृत्यु के बाद ऑक्सीजन का क्षय होता है और कार्बन डाइऑक्साइड और पानी के रूप में वायुमंडल में वापस चला जाता है। हरे पौधों में पानी कच्चे माल के रूप में कार्य करता है और प्रकाश संश्लेषण से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में टूट जाता है। मुक्त ऑक्सीजन वायुमंडल में चली जाती है। इस प्रकार ऑक्सीजन चक्र चलता रहता है।

3. कार्बन डाइऑक्साइड चक्र

जीवन का आधार माने जाने वाली जीवद्रव्य में उपस्थित सभी कार्बनिक यौगिकों, जैसे - प्रोटीन,कार्बोहाइड्रेट्स,वसा तथा न्यूक्लिक अम्ल आदि सभी जीवधारियों के लिए प्रमुख ऊर्जा के स्रोत हैं। इनके ऑक्सीकरण से ऊर्जा मिलती है। वायुमण्डल में 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड होती है। 

इसका उपयोग सर्व प्रथम हरे पौधे करते हैं और पकाश-संश्लेषण द्वारा कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं। शाकाहारी प्राणी इन पौधों को ग्रहण करते हैं। जिससे ये कार्बनिक पदार्थ प्राणियों के शरीर में पहुंच जाते हैं। 

अब शाकाहारी प्राणियों को मांसाहारी प्राणी खाते हैं और ये कार्बनिक पदार्थ मांसाहारी प्राणियों के शरीर में पहुंच जाते हैं। इनमे से कुछ भाग शरीर की व्रिद्धि के लिए उपयोग में ले ली जाती हैं। कुछ भाग श्वसन क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित होकर वायुमण्डल में चली जाती है।

वायुमण्डल की कार्बनडाइऑक्साइड का कुछ भाग समुद्र जल द्वारा अवशोषित होकर समुद्री पौधों द्वारा प्रकाश-संश्लेषण में उपयोग कर ली जाती है और कुछ कार्बन डाइऑक्साइड कार्बोनेट के रूप में अवशोषित हो जाता है।

प्राणियों और पौधों की मृत्यु के बाद कार्बनिक पदार्थ कार्बन डाइऑक्साइड और जल में अपघटित हो जाते हैं। जिसे पुनः पौधों द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है। इस प्रकार (कार्बन) कार्बनडाइऑक्साइड का चक्र चलता रहता है।

4. कैल्सियम चक्र

कैल्सियम का मुख्य स्रोत चटटान होते हैं। इन चट्टानों में कैल्सियम के यौगिक पाये जाते हैं। ये चट्टानी यौगिक पानी में घुलनशील होते हैं। पौधे इनका मिट्टी से अवशोषण करते हैं तथा जन्तु के शरीर में पानी के साथ शरीर में कार्बनिक यौगिकों के रूप में पहुंचते हैं। 

जन्तुओ एवं पौधो की मृत्यु के बाद ये कैल्सियम अपघटित होकर घुली हुई अवस्था में पानी में मिल जाती है। नदियों के पानी द्वारा कैल्सियम को समुद्र के पानी में पहुंचा दिया जाता है। समुद्र में सतहिकरन विधि द्वारा समुद्र की सतह में जमा होकर पुनः चट्टानों का रूप ले लेता है। इस प्रकार कैल्सियम चक्र अनवरत चलता रहता है।

5. जल चक्र

जल पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक है। पानी तीन रूप में पाया जाता है - ठोस, तरल और गैस। पानी पृथ्वी की जलवायु प्रणाली के प्रमुख हिस्सों को एक साथ जोड़ता है। जल के बिना जीवन संभव नहीं है। और जल चक्र जैव भु-रसायन चक्र का अहम् हिस्सा है। 

जल चक्र पृथ्वी और वायुमंडल के भीतर पानी की निरंतर गति को दर्शाता है। यह एक जटिल प्रणाली है जिसमें कई अलग-अलग प्रक्रियाएं शामिल हैं। तरल पानी वाष्प में वाष्पित हो जाता है, बादलों के रूप में संघनित होता है, और बारिश के रूप में वापस धरती पर बरसता है। अधिक ठंड में बर्फ के रूप में जम जाता है। तथा गर्मी पड़ने पर पिघल कर तरल रूप में वापस आ जाता है। फिर वाष्प बनकर आसमान में संघनित होता है, यह प्रक्रिया निरंतर चलता रहता है। इसे ही जल चक्र कहा जाता है।

जैव विविधता की दृष्टि से भारत का विश्व में स्थान

भारत दुनिया के शीर्ष 10 सबसे अधिक जैव विविधता वाले देशों में से एक है, जिसे अक्सर 8वें स्थान पर रखा जाता है। भारत भौगोलिक दृष्टि से एक समान नहीं है। यहाँ पहाड़, पठार और मैदान हैं। भारत में कई तरह के जानवर पाए जाते हैं। इसका कारण यह है कि भारत एक बहुत बड़ा देश है जो क्षेत्रफल के आधार पर दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा देश है। इतना बड़ा क्षेत्रफल होने के कारण यहाँ कई तरह के जानवर पाए जाते हैं।

आपको बता दें कि जीवों में पाई जाने वाली विविधता को जैव विविधता कहा जाता है। और भारत में जीवों की हजारों प्रजातियां पाई जाती हैं। ये पर्यावरण और स्थान के आधार पर अलग-अलग जगहों पर पाई जाती हैं।

भारत के उत्तरी भाग में हिमालय पर्वत श्रृंखला स्थित है जहाँ भारी बर्फबारी होती है और यहीं से भारत की प्रमुख नदियाँ निकलती हैं।  यहाँ कई दुर्लभ जीव-जन्तु पाए जाते हैं, जो भारत के अन्य क्षेत्रों में नहीं मिलते। पश्चिम में थार का मरुस्थल है। इसके विपरीत, थार रेगिस्तान भारत के पश्चिमी भाग में स्थित है, जिसकी विशेषता कम वर्षा, कांटेदार वनस्पति और सूखा क्षेत्र हैं। रेतीले और गर्म परिस्थितियों के बाद भी कई जानवर यहाँ रहते हैं।

भारत एक ऐसा देश है जहा पर जैव विविधता की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण देश है जहा समुद्री जंगली और गर्म स्थान वाले जानवर पाए जाते है।

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