रस काव्य की आत्मा कहलाती है। जिस प्रकार शरीर का महत्व आत्मा के बिना कुछ नहीं है। उसी प्रकार बिना रस के कोई भी काव्य अधूरा होता है। अर्थात शब्द को हम शरीर मान सकते है और रस को आत्मा। रस …
इस पोस्ट में विशेषण को आसान भाषा में समझने का प्रयास किया गया है मुझे आशा है की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद विशेषण आपको पूरी तरह से समझ आ जायेगा। अनुक्रम …