फ़ारसी खाड़ी जिसे अरब खाड़ी भी कहा जाता है। पश्चिमी एशिया में स्थित एक समुद्र है। यह अरब प्रायद्वीप और ईरान के बीच है और अरब सागर व हिंद महासागर से जुड़ी हुई है। पूर्व दिशा में यह होर्मुज जलडमरूमध्य से ओमान की खाड़ी से मिलती है।
यहाँ मछलियाँ, चट्टानी और मूंगे की रीफ़, और मोती देने वाली सीपें पाई जाती हैं। लेकिन तेल रिसाव और उद्योगों की वजह से इसका प्राकृतिक पर्यावरण प्रभावित हुआ है।
फ़ारसी खाड़ी का निर्माण लाखों साल पहले हुआ था। लगभग 15,000 साल पहले बर्फ पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ा और यह क्षेत्र पानी से भर गया।
फारस की खाड़ी कहां है
फारस की खाड़ी लगभग 2.51 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला समुद्र है। यह पूर्व में होर्मुज जलडमरूमध्य के ज़रिए ओमान की खाड़ी से जुड़ा है। पश्चिम में शट्ट अल-अरब नदी का डेल्टा है, जहाँ यूफ्रेट्स और टाइग्रिस नदियों का पानी गिरता है। ईरान में इस नदी को अरवंद रुद कहा जाता है।
खाड़ी की लंबाई करीब 989 किमी है। सबसे संकरी जगह पर इसकी चौड़ाई लगभग 56 किमी है। यह समुद्र ज़्यादातर उथला है। अधिकतम गहराई 90 मीटर और औसत 50 मीटर है।
खाड़ी के तट पर स्थित देश
- ईरान
- ओमान
- यूएई
- सऊदी अरब
- कतर
- बहरीन
- कुवैत
- इराक
इसके अंदर कई छोटे द्वीप भी हैं, जिनमें से कुछ को लेकर देशों के बीच विवाद है। इनमें बहरीन एक स्वतंत्र अरब देश है। भौगोलिक रूप से सबसे बड़ा द्वीप केशम द्वीप है, जो ईरान का हिस्सा है और होर्मुज़ जलडमरूमध्य में स्थित है।
अन्य प्रमुख द्वीपों में ग्रेटर टुनब, लेसर टुनब और किश (ईरान), बुबियन (कुवैत), तारौत (सऊदी अरब) और दलमा (यूएई) शामिल हैं। हाल के वर्षों में पर्यटन के लिए कृत्रिम द्वीप भी बनाए गए हैं, जैसे दुबई का द वर्ल्ड आइलैंड्स और दोहा का द पर्ल आइलैंड।
फ़ारस की खाड़ी दुनिया के सबसे बड़े तेल और प्राकृतिक गैस भंडारों में से एक है। वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति का बड़ा हिस्सा इसी क्षेत्र से होकर गुजरता है। इसी कारण यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय राजनीति और व्यापार में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यहाँ मछलियों, मूंगा चट्टानों और मोती देने वाली सीपों की भरपूर विविधता पाई जाती है। हालांकि, तेल रिसाव, औद्योगीकरण और प्रदूषण के कारण इसका समुद्री पर्यावरण गंभीर खतरे में है।
इतिहास में फ़ारस की खाड़ी व्यापार मार्गों का केंद्र रही है। पुर्तगाली और ब्रिटिश जैसी औपनिवेशिक शक्तियों ने यहाँ अपने व्यापारिक ठिकाने बनाए थे, जिससे इसका रणनीतिक महत्व और भी बढ़ गया।
फ़ारस की खाड़ी न केवल प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, बल्कि यह इतिहास, भूगोल और वैश्विक अर्थव्यवस्था का भी अहम हिस्सा है। इसके संरक्षण और संतुलित विकास की आवश्यकता आज पहले से कहीं अधिक है।
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