पत्र लेखन क्या है - patra lekhan in hindi

पत्र लिखने की परंपरा सदियों से चली आ रही हैं। प्राचीन समय में पत्र दूर रहने वाले व्यक्ति तक सन्देश भेजने के लिए लिखे जाते थे। जिसे पोस्ट ऑफिस द्वारा भेजा जाता था। पत्र को पहुंचने में कई दिनों का समय लगता था। आज के समय में कुछ ही पल में सन्देश भेजे और प्राप्त किये जा सकते है। पत्र लेखन वर्तमान में पूरी तरह डिजिटल हो गया है।

पत्र लेखन क्या है

पत्र एक लिखित संदेश है जिसे कागज या डिजिटल डॉक्यूमेंट पर लिखा जाता है। यह आमतौर पर प्राप्तकर्ता को मेल या पोस्ट के माध्यम से भेजा जाता है। हालांकि यह आवश्यक नहीं होता है की कोई भी संदेश जो डाक या ईमेल के माध्यम से भेजा जाता है। वह एक पत्र हो, वह दो पक्षों के बीच लिखित बातचीत भी हो सकती है।

अब ई-मेल संचार का आदर्श बन गया हैं। हालाँकि आज भी बहुत सारे संचार विशेषकर औपचारिक संचार पत्रों के माध्यम से ही होता है। चाहे वह नौकरी के लिए कवर लेटर हो, या बैंक और कॉलेज की स्वीकृति पत्र हो, पत्र अभी भी संचार का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। पत्र दो प्रकार के होते हैं - औपचारिक पत्र और अनौपचारिक पत्र जिसके बारे में आगे विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।

patra lekhan kya hai, पत्र लेखन किसे कहते हैं

पत्र के प्रकार 

पत्र दो प्रकार के होते है - औपचारिक पत्र और अनौपचारिक पत्र।

1 . औपचारिक पत्र -

औपचारिक पत्र जिन्हें व्यावसायिक भी कहा जाता है, इस पत्र को विशिष्ट प्रारूप में लिखे जाते हैं। औपचारिक पत्र स्वाभाविक रूप से अनौपचारिक पत्रों की तुलना में अधिक औपचारिक शैली के होते हैं। औपचारिक पत्र कई कारणों से लिखे जा सकते हैं। औपचारिक पत्र लेखन प्रारूप के लिए कुछ विशिष्ट नियमों और परंपराओं की आवश्यकता होती है।

सामान्य रूप से निजी कंपनियों में औपचारिक पत्र अंग्रेजी में लिखे जाते हैं। लेकिन, सरकारी कंपनियों में हिंदी भाषा में लिखे औपचारिक पत्र स्वीकार किया जाता हैं। स्कूलों में छात्रों को औपचारिक पत्र प्रारूप भी सिखाए जाते हैं ताकि वे किसी विशेष स्थिति के लिए अपने शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को पत्र लिखने में सक्षम हो सकें।

औपचारिक पत्र उदहारण इस प्रकार हैं - बीमारी की छुट्टी का आवेदन, विवाह के लिए अवकाश पत्र, इस्तीफा पत्र, नियुक्ति पत्र और शिकायत पत्र आदि।

2 . अनौपचारिक पत्र - 

अनौपचारिक पत्र एक गैर-आधिकारिक पत्र है जिसे हम आमतौर पर अपने दोस्तों, परिवार या रिश्तेदारों को लिखने के लिए उपयोग करते हैं। इसे व्यक्तिगत पत्र भी कहा जाता हैं जिनका उपयोग आधिकारिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाता है।

अनौपचारिक पत्र में अभिवादन आमतौर पर 'प्रिय' द्वारा दर्शाया जाता है, जैसे प्रिय दोस्त का नाम/रिश्तेदार का नाम। औपचारिक पत्रों के विपरीत इसमें आपको उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है। इसे गोपनीय तरीके से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुचाया जाता है।

पत्र लेखन का इतिहास

भारत, मिस्र, चीन, सुमेर, रोम और ग्रीस में आज भी पत्र संचार मौजूद हैं। इन देशो में ऐतिहासिक रूप से पत्र का उपयोग सत्रहवीं और अठारहवीं शताब्दी में आत्म शिक्षा के लिए किया जाता था। पत्र एक प्रकार से विचारधारा को फैलाने का माध्यम होता था।

यह आलोचना पढ़ने, आत्म-अभिव्यंजक लेखन और समान विचारधार के लोगों तक विचार का आदान-प्रदान करने का माध्यम था। कुछ लोग इसे सन्देश भेजने तथा प्रतिक्रिया प्राप्त करने का माध्यम बताते हैं।

पत्र के माध्यम से ही बाइबल के कई किताबों को बनाया गया है। पत्र कई इतिहासकारों के लिए प्राथमिक स्रोत के रूप में कार्य करते हैं। यह पत्र व्यतिगत, राजनीतिक और व्यवसायिक कारण से इतिहास के स्रोत बने हुए हैं। एक निश्चित समय तक लेखन के लिये अकक्षरों को कला के रूप में देखा जाता था। एक शैली के रूप में पत्र लेखन को देखा जाता था। उदाहरण के तौर पर आज भी बीजान्टिन एपिस्टोलोग्राफी को लिया जाता है।

अगर प्राचीन इतिहास की बात करें तो पत्र के लिए विभिन्न ताम्र पत्रों और शिलालेखों का उपयोग किया जाता था। तथा इसके अलाव धातु, और मोम, कांच, लकड़ी, मिट्टी के बर्तन, जानवरों के खाल का भी उपयोग पत्र लिखने के किया जाता था।

आधुनिक पत्र लेखन

आज बहुत सारी संचार प्रणाली  हैं। जिसके कारण पत्र लेखन बहुत कम हो गया है। उदाहरण के रूप में देखें तो आजकल के संचार माध्यम टेलीफोन, मोबाइल जैसे सन्देश भेजने और प्राप्त करने की समय को बहुत कम कर दिया है।

कुछ साल पहले फैक्स मशीन का दौर था। जिसमें टेलीफोन नेटवर्क का उपयोग करके भेजने वाले और प्राप्त करने वाले के मध्य एक माध्यम का काम किया जिसमें प्राप्तकर्ता के द्वारा उसी प्रकार से हूबहू प्रिंटआउट प्राप्त हो जाता था जिसे फैक्स मशीन कहा जाता था। जो की फोटो के समान होता है।

आज विज्ञान ने इतना तरक्की कर लिया है की एक ही समय में कई लोगो को सन्देश भेजा जा सकता है। आज के इस आधुनिक युग ने पत्र को भले ही भुला दिया हो लेकिन उसका स्थान अपने आप में सुरक्षित है। आज के समय में इंटरनेट के माध्यम से लिखित सन्देश आसानी से भेजे जा सकते हैं।

जो की मुख्य भूमिका निभा रहे हैं किसी भी प्रकार के सन्देश भेजने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। यह केवल अक्षरों या शब्दों के रूप में ही सन्देश नहीं भेजता है बल्कि यह आज वीडियो और ऑडियो तथा चित्रों के रूप में भी सन्देश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजता है। लेकिन आज पत्र शब्द केवल कागज पर लिखे जाने वाले सन्देश के लिए सुरक्षित है।

पत्र का साहित्यिक स्रोत

ऐसे कई साहित्य हैं जिन्हें पत्र से प्रेरित होकर लिखा गया है। इतिहास की जानकारी पत्रों से प्राप्त होती है। इस प्रकार पत्र का जो शिलशिला है वह कई हजारों वर्ष से चला आ रहा है। 

पत्र सन्देश भेजने का एक माध्यम ही नहीं है बल्कि इससे कई इतिहासिक घटनाओं की जानकारी भी मिलती है। कई सारे इतिहास का पता हमें शिलालेख पत्थरों के माध्यम से मिली हैं।

इलेक्ट्रॉनिक मेल के साथ तुलना की जाए तो वह पत्र लेखन से कई प्रकार से भिन्न है। इसमें वह सभी सुविधाएं नहीं हैं। जो की आज के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजे गए सन्देश में भेजे जाते हैं। 

आज के इस युग में सन्देश भेजने का सबसे आसान तरीका इंटरनेट और फ़ोन है। ऐसे कई अप्लीकेशन हैं जिसके माध्यम से जानकारी भेजी जाती हैं। कुछ साल पहले पत्र में केवल शब्द शामिल होते थे। लेकिन आज शब्द के साथ चित्र और वीडियो भी भेजे जा सकते हैं।

राजा महाराजा के समय एक अलग से पत्र पहुचाने वाला होता था। जो की सन्देश को एक एक राज्य से दूसरे राज्य तक पहुंचाता था। जिसे राज दूत कहकर संबोधित किया जाता था।

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