भारत में लैंगिक असमानता का तात्पर्य भारत में पुरुषों और महिलाओं के बीच स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक और राजनीतिक असमानताओं से है। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय लैंगिक असमानता सूचकांक इन सभी कारकों के साथ-साथ सम…
भारतीय संस्कृति उन सामाजिक मानदंडों और प्रौद्योगिकियों की विरासत है जिनकी उत्पत्ति या तो जातीय-भाषाई रूप से विविध भारत राष्ट्र में हुई या उससे जुड़ी हुई है। यह 1947 तक भारतीय उपमहाद्वीप और 1947 के ब…
बहुसंस्कृतिवाद अनेक संस्कृतियों का सह-अस्तित्व है। इस शब्द का प्रयोग समाजशास्त्र, राजनीतिक दर्शन और बोलचाल में किया जाता है। समाजशास्त्र और रोज़मर्रा के उपयोग में, यह आमतौर पर जातीय या सांस्कृतिक बहु…
अपराधियों के जेल या बन्दीगृह से छूटने के बाद उनकी देखरेख करना अति आवश्यक होता है, क्योंकि बन्दीगृह से मुक्त होने के पश्चात् जब वे समाज में आते हैं तो एकाएक पुनः सामंजस्य तथा अनुकूलन नहीं कर पाते और स…
प्राचीन भारतीय संस्कृति में सामाजिक व्यवस्थाओं का निर्माण व्यक्ति के जीवन में सर्वांगीण विकास के लिये हुआ। आश्रम की व्यवस्था का भी यही उद्देश्य माना जा सकता है। आर्यजन कर्मण्यतावादी थे और कर्म करते ह…
यद्यपि प्रत्येक महान् विचारक अपने युग का शिशु होता है, क्योंकि उसका ध्यान अपने समय की समस्याओं पर जाता है, जिनके निदान के लिए वे उपाय ढूँढ़ते हैं। इस प्रकार प्लेटो और अरस्तू भी अपने युग के शिशु थे। मै…
हमारे पर्यावरण में वह सब कुछ जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग किया जा सकता है और तकनीकी रूप से सुलभ, आर्थिक रूप से व्यवहार्य और सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य है, संसाधन कहलाता है । अंतर्रा…
औद्योगिक क्रांति के सूत्रपात के साथ सम्पूर्ण विश्व में तेजी से औद्योगीकरण की प्रवृत्ति बढ़ी हैं। इसके साथ कई औद्योगिक समस्याओं का उदय हुआ। विकसित, विकासशील एवं पिछड़े देशों के भिन्न-भिन्न औद्य…