आज मैं इसी के बारे में बातें करने वाला हूँ, ग्लोबल वार्मिंग क्या होता है और इससे कैसे निपटना है? क्या कारण है Global Warming का और इससे कैसे नुकसान पहुंच रहा है। इन सभी तमाम बातों पर आज मैं चर्चा करने वाला हूँ।
ग्लोबल वार्मिंग पिछले 50 वर्षों में औसत वैश्विक तापमान में दर्ज इतिहास में सबसे तेज दर से वृद्धि हुई है। और विशेषज्ञ देखते हैं कि रुझान में तेजी आ रही है। लेकिन नासा के 134 साल के रिकॉर्ड में 16 सबसे गर्म वर्षों में से 2000 के बाद से हुआ है।
जलवायु परिवर्तन से इनकार करने वालों ने तर्क दिया है कि बढ़ते वैश्विक तापमान में एक "ठहराव" या "मंदी" आई है, लेकिन जर्नल साइंस में प्रकाशित 2015 के पेपर सहित कई हालिया अध्ययनों ने इस दावे को खारिज कर दिया है। और वैज्ञानिकों का कहना है कि जब तक हम ग्लोबल-वार्मिंग उत्सर्जन पर अंकुश नहीं लगाते हैं। अगली सदी तक औसत तापमान 10 डिग्री फ़ारेनहाइट तक बढ़ सकता है।
आपने अनुभव किया होगा की हर साल हमारे लिए गर्मी का दिन बहुत ही तकलीफ वाला होता जा रहा है। जिसके कारण धूप में भी निकलना बहुत कठिन होता जा रहा है। साथ ही साथ प्रदूषण भी ज्यादा होता जा रहा है की जीना मुश्किल होता जा रहा है आपने कई बार दिल्ली मुम्बई जैसे शहरों के प्रदूषण के बारे में भी सुना होगा की वहां कितना ज्यादा प्रदूषण का स्तर पहुंच चुका है। लोगों को गर्मी के दिनों में बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
तो ग्लोबल वार्मिंग हमारे पृथ्वी पर पड़ने वाला ऐसा प्रभाव है जिसके कारण न तो प्रदूषण में कमी आ रही है और न ही तापमान में कमी आ रही है। तो इस प्रकार से ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को परिभाषित किया जा सकता है जैसे की हमारे क्षेत्र का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है उसी प्रकार पूरे विश्व का या कहें लगातार पृथ्वी के तापमान में भी लगातार वृध्दि होती जा रही है।
"इस प्रकार साल दर साल पृथ्वी का तापमान का बढ़ना Global Warming कहलाता है। " क्या कारण है Global Warming का दोस्तो आपको बता दें की ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण कार्बन-डाइऑक्साइड, मेथेन तथा क्लोरो-फ्लोरो कार्बन की मात्रा में अनावश्यक वृद्धि है। जिसके कारण Global Warming बढ़ते जा रहा है। पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ते जा रहा है। जिसके कारण लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त होता जा रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण
ग्लोबल वार्मिंग तब होती है जब कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और अन्य वायु प्रदूषक और ग्रीनहाउस गैसें वायुमंडल में एकत्र होती हैं और सूर्य के प्रकाश और सौर विकिरण को अवशोषित करती हैं जिन्होंने पृथ्वी की सतह को गर्म कर दिया है। आम तौर पर, यह विकिरण अंतरिक्ष में बच जाता है - लेकिन ये प्रदूषक, जो वातावरण में सदियों से सदियों तक रह सकते हैं, गर्मी को रोकते हैं और ग्रह को गर्म करने का कारण बनते हैं। यही ग्रीनहाउस प्रभाव के रूप में जाना जाता है।
संयुक्त राज्य में, बिजली बनाने के लिए जीवाश्म ईंधन के जलने से गर्मी-रोकने वाले प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत है, जो हर साल लगभग दो बिलियन टन CO2 का उत्पादन करता है। कोयला जलाने वाले बिजली संयंत्र अब तक के सबसे बड़े प्रदूषक हैं। देश में कार्बन प्रदूषण का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत परिवहन क्षेत्र है, जो एक वर्ष में लगभग 1.7 बिलियन टन CO2 उत्सर्जन करता है।
खतरनाक जलवायु परिवर्तन पर अंकुश लगाने के लिए उत्सर्जन में बहुत गहरी कटौती की आवश्यकता होती है। साथ ही दुनिया भर में जीवाश्म ईंधन के लिए विकल्पों का उपयोग किया जाता है। अच्छी खबर यह है कि हमने एक बदलाव शुरू किया है। संयुक्त राज्य अमेरिका में CO2 उत्सर्जन वास्तव में 2005 से 2014 तक घट गया। वैज्ञानिकों ने बिजली संयंत्रों को आधुनिक बनाने, क्लीनर बिजली पैदा करने और कम पेट्रोल जलाने के नए तरीके विकसित करना जारी रखा है। चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि इन समाधानों का उपयोग किया जाए और व्यापक रूप से अपनाया जाए।
ग्लोबल वार्मिंग मौसम से कैसे जुड़ी है
वैज्ञानिक इस बात से सहमत हैं कि पृथ्वी के बढ़ते तापमान में अधिक लंबी और तेज़ गर्मी की लहरें, अधिक लगातार सूखा, भारी वर्षा और अधिक शक्तिशाली तूफान हैं। उदाहरण के लिए, 2015 में, वैज्ञानिकों ने कहा कि 1,200 वर्षों में कैलिफ़ोर्निया में जारी सूखा - राज्य की सबसे खराब पानी की कमी, ग्लोबल वार्मिंग द्वारा 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक तीव्र हो गई थी।
उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में होने वाले इसी तरह के सूखे की संभावनाएं पिछली सदी में लगभग दोगुनी हो गई थीं। और 2016 में, विज्ञान, इंजीनियरिंग और मेडिसिन की राष्ट्रीय अकादमियों ने घोषणा की कि अब कुछ मौसम की घटनाओं पर विश्वास करना संभव है, जैसे कुछ गर्मी की लहरें, सीधे जलवायु परिवर्तन पर।
पृथ्वी के महासागरीय तापमान भी गर्म हो रहे हैं, जिसका अर्थ है कि उष्णकटिबंधीय तूफान अधिक ऊर्जा उठा सकते हैं। इसलिए ग्लोबल वार्मिंग एक खतरनाक श्रेणी 4 तूफान में श्रेणी 3 तूफान को बदल सकती है। वास्तव में, वैज्ञानिकों ने पाया है कि उत्तरी अटलांटिक तूफान की आवृत्ति 1980 के दशक के बाद से बढ़ी है, साथ ही तूफान की संख्या जो 4 और 5 श्रेणियों में पहुंचती है। 2005 में, तूफान कैटरीना - अमेरिकी इतिहास में सबसे महंगा तूफान - न्यू ऑरलियन्स ; दूसरा सबसे महंगा तूफान सैंडी 2012 में ईस्ट कोस्ट से टकराया था।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को दुनिया भर में महसूस किया जा रहा है। अत्यधिक गर्मी की लहरों ने हाल के वर्षों में दुनिया भर में हजारों मौतें की हैं। और आने वाली घटनाओं के एक खतरनाक संकेत में, अंटार्कटिका 2002 के बाद से प्रति वर्ष लगभग 134 बिलियन मीट्रिक टन बर्फ खो रहा है। अगर हम अपनी वर्तमान गति से जीवाश्म ईंधन जलाते रहें तो यह दर बढ़ सकती है, कुछ विशेषज्ञों का कहना है, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ जाता है। अगले 50 से 150 वर्षों में कई मीटर ऊपर उठो।
कार्बन-डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने के कारण
दोस्तो जैसे की आप जानते है की अब बढ़ती जनसंख्या तथा अन्य कारणों के कारण पेड़-पौधों की संख्या लगातार कम होती जा रही जिसके कारण कार्बन-डाइऑक्साइड का उपयोग पौधों की संख्या कम होने से उचित मात्रा में नहीं हो पाता है और सन्तुलन बिगड़ता जा रहा है। इसके साथ ही और भी बहुत से कारण है जैसे हमारे द्वारा गन्दगी को बढ़ावा देना और साफ सफाई न रखना।
मेथेन की मात्रा क्यों बढ़ रही है?
हमारे द्वारा समुद्रों से निकाले जाने वाले विभिन्न प्रकार के ईंधनों के द्वारा इसका उत्पादन किया जाता है और यह वायुमण्डल में तेजी से फैल रहा है जिसके कारण यहां के वातावरण में बहुत ही ज्यादा वृद्धि हो रही है आप जब खाना बनाते है किसी सिलेंडर में भरे गैस से तब आपने उसकी गर्मी जरूर महसूस की होगी की वह कितना गर्म होता है थी उसी प्रकार यही गैस पृथ्वी के तापमान को भी गर्म कर रहा है। इसका उत्पादन जानवरों द्वारा जैसे गाय और बैल के अपशिष्ट के द्वारा भी निकलता है और भी बहुत सारे कारण है जैसे की कारखाने के जल के द्वारा तथा उसके धुंए के कारण भी मेथेन गैस का निष्काशन किया जाता है।
CFC यानी क्लोरो फ्लोरो कार्बन
इस प्रकार के गैस का उत्पादन हमारे ओजोन परत के कम होने के कारण और अधिक बढ़ता जा रहा है। और ओजोन परत को हानि कार्बन डाईऑक्साइड तथा मेथेन से सबसे ज्यादा हो रहा है।
ग्लोबल वॉर्मिंग से बचने के उपाय
- इससे बचने के लिए गन्दगी कम करना होगा।
- औद्योगिक उत्पादन को ज्यादा बढ़ावा न देते हुए मानव निर्मित वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए।
- कार्बन-डाईऑक्साइड की मात्रा को कम करने के लिए पौधे लगाए जाने चाहिए।
- मेथेन गैस का उत्पादन सबसे ज्यादा द्रव्य ईंधन द्वारा होता इस कारण इसको कम करने के लिए उचित व्यवस्था करना चाहिए।
- यह सिर्फ हमारे देश की ही समस्या नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या है इसको लेकर पूरे विश्व के द्वारा संगठन भी बनाये गए है और कई सारे ऐसे भी देश है जो की इसे अपने लिए बहुत ही ज्वलन्त समस्या बता रहे हैं।
- आपको बता दूँ की चीन में वायु प्रदूषण इस हद तक पहुच गया है की अब वहां शुद्ध हवा के लिए कैन का इस्तेमाल होने लगा है। अगर ऐसे ही स्थिति बनी रही तो वो दिन दूर नहीं है जब भारत जैसे देश में भी इसी प्रकार के कैन बिकने लगे।
- भारत में ऐसे तो अन्य देशों के हिसाब से बहुत ज्यादा मात्रा में खेती की जाती है जिसके कारण यहाँ अभी यह परेशानी सबसे ज्यादा गर्मियों के मौसम में देखने को मिलता है।
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण आज बड़े-बड़े बर्फ से बने ग्लेशियर पिघलने लगे हैं।