वायु प्रदूषण किसे कहते हैं - vayu pradushan kise kahate hain

वायु गैसों का मिश्रण है। वायुमंडल में नाइट्रोजन 78 प्रतिशत, ऑक्सीजन 21 प्रतिशत, आर्गन 0.93 प्रतिशत, कार्बन डाइऑक्साइड 0.03 प्रतिशत और नियॉन, मीथेन, हीलियम जैसी अन्य गैस कम मात्रा में उपस्थित होते है। नम वायुमंडल में लगभग 5 प्रतिशत जल वाष्प पाया जाता है।

वायुमंडल पृथ्वी की सतह से लेकर लगभग 100 किलोमीटर आकाश तक फैला हुआ है। वायु पृथ्वी पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। वायुमंडल में सभी गैस एक संतुलित मात्रा में उपस्थित हैं। जिसके कारण यहाँ जीवन पाया जाता हैं। कई जीव जंतु सास लेने के लिए ऑक्सीजन पर निर्भर करते है। जबकि पेड़ पौधे कार्बन डाई ऑक्साइड निर्भर होते हैं।

वायु में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड की अधिकता जीवन को नुकसान पंहुचा सकता हैं। जिसके कारण कई गंभीर बीमारिया होती हैं। यह ओजोन परत को नष्ट करती हैं जिससे सूर्य से निकलने वाले हानिकारण किरणे पृथ्वी तक बहुच जाती हैं। और त्वचा से संबंधित बीमारियां उत्पन्न करती हैं।

वायु प्रदूषण किसे कहते हैं

वायु में कई प्रकार के हानिकारक गैस और धूल मिल जाते हैं। इसे वायु प्रदूषण कहा जाता हैं। यदि दूषित हवा में बहुत दिनों तक रहा जाये तो जानलेवा बीमारिया होने का खतरा रहता है। हवा को प्राण दायनी कहा गया है। यदि इसमें जहरीली गैस मिश्रित हो जाते है तो यह प्राणघातक बन जाती हैं।

वायु प्रदूषण वायुमंडल में हानिकारक पदार्थों की उपस्थिति से होता है। यह सभी जिव-जंतु और समग्र पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। वायु प्रदूषण औद्योगिक, परिवहन और ज्वालामुखी विस्फोट जैसे प्राकृति कारण से भी हो सकता है।

वायु प्रदूषण किसे कहते हैं - vayu pradushan kise kahate hain

मुख्य रूप से वायु प्रदूषकों में नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओजोन और कार्बन मोनोऑक्साइड शामिल होते हैं। जो श्वसन और हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बन सकते हैं। वायु प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है। अधिक आबादी वाले शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण के उच्च स्तर पाए जाते है जो गंभीर स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को जन्म देती है।

वायु प्रदूषण के कारण

वायु प्रदूषण के कारण निम्न लिखित हैं - 

  • कारखानों से निकलने वाला धुँवा।
  • वाहनों से निकलने वाला धुआँ।
  • कोयले तथा खनिज तेल के जलने से निकलने वाला धुआँ।
  • ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाला धुआँ।

सड़कों पर मोटर वाहनों की लंबी लाईने लगी होती है। वाहनों से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता है इसके अलावा फैक्टरी से हानि कारक गैस निकलती हैं जो वायुमण्डल को दूषित करती है।

वायु प्रदूषण कई तरह से होते है। अधिकांश वायु प्रदूषण कारखानों, कारों, विमानों से निकलने वाले गैसों से होता हैं। लकड़ी या सिगरेट के धुएं को भी वायु प्रदूषण माना जाता है। ये सब मानव निर्मित प्रदुषण है। वायु प्रदूषण के कुछ प्रकार प्राकृतिक भी हो सकते हैं जैसे कि ज्वालामुखी से निकलने वाले धुएं या राख से वायु प्रदूषण होता है।

बड़े शहरों में वायु प्रदूषण सबसे आम है। जहां कई अलग-अलग स्रोतों से प्रदुषण होता है। कभी-कभी पहाड़ या ऊंची इमारतें प्रदूषित वायु को फैलने से रोकती हैं। जिसके कारण प्रदूषित हवा बादल के रूप में दिखाई देता है। इसे स्मॉग कहा जाता है।

गरीब और विकासशील देशों के बड़े शहरों में अधिक वायु प्रदूषण होता है। WHO के अनुसार दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से कुछ कराची, (पाकिस्तान) नई दिल्ली (भारत) बीजिंग, (चीन) लीमा, (पेरु) और काहिरा (मिस्र) हैं। हालाँकि कई विकसितदेशों में भी वायु प्रदूषण की समस्या है। लॉस एंजिल्स को स्मॉग सिटी के नाम से भी जाना जाता है।

वायु प्रदूषण कई प्रकार के घरेलु कारणो से भी होता हैं। मिट्टी के तेल, लकड़ी और कोयले के जलने से हवा दूषित हो सकता है। ये धुएं सांस लेने में मुश्किल पैदा करते हैं।

वायु प्रदूषण के प्रभाव

वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से मनुष्य को कई प्रकार की समस्या हो सकती है। इसका प्रभाव अल्पकालिक और दीर्घकालिक भी हो सकता है।

कुछ शोध के अनुशार वायु प्रदूषण श्वसन संबधी खतरा पैदा करता हैं। इसके अलावा हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा और प्रजनन तंत्रिका संबंधी बीमारिया भी उत्पन्न करता है।

इसके अल्पकालिक प्रभाव में निमोनिया या ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां आती हैं। प्रदूषित वायु के सम्पर्क में आने से नाक, गले, आंख, या त्वचा में जलन जैसी समस्या भी हो सकती है। वायु प्रदूषण से सिरदर्द, चक्कर आने जैसी समस्या भी हो सकती है।

वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभाव वर्षों तक या पूरे जीवनकाल तक रह सकते हैं। वे किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण भी बन सकता हैं। वायु प्रदूषण से लंबे समय तक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव में हृदय रोग, फेफड़े का कैंसर और श्वसन संबंधी बीमारियां शामिल हैं।

वायु प्रदूषण भी लोगों की नसों, मस्तिष्क, गुर्दे, यकृत और अन्य अंगों को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकता है। कुछ वैज्ञानिकों का मत है की जो जन्म दोष का कारण बनता है। वह भी वायु प्रदूषण के कारण होता है। वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में हर साल लगभग 2.5 मिलियन लोग मारे जाते हैं।

ग्लोबल वार्मिंग क्या है

ग्लोबल वार्मिंग एक पर्यावरणीय घटना है। जो वायु प्रदूषण के कारण होती है। यह दुनिया भर के जलवायु और तापमान को प्रभावित करता है। वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि के कारण तापमान में वृद्धि होती है।

कार्बन डाइऑक्साइड एक ग्रीनहाउस गैस है जिसका ग्लोबल वार्मिंग पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। जीवाश्म ईंधन को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जित होता है। इसके अलावा कारों और विमानों, घरों और कारखानों से भी कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता हैं।

अन्य ग्रीनहाउस गैसों में मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और फ्लोराइड युक्त गैस शामिल हैं। मीथेन कोयला संयंत्रों और कृषि प्रक्रियाओं से उत्सर्जित होता है। नाइट्रस ऑक्साइड कारखानों और जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्सर्जन होता है।

वायु प्रदूषण के उपाय

वायु प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है जिसका मानव स्वास्थ्य, वन्य जीवन पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषण को कम करने और इसके हानिकारक प्रभावों को कम करने के कई तरीके हैं।

1. वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक कारों, सार्वजनिक परिवहन या साइकिल का उपयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए।

2. बिजली संयंत्रों से उत्सर्जन को कम करने के लिए सौर, पवन, जल, या परमाणु ऊर्जा जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर रुख करना चाहिए।

3. प्रदूषकों को अवशोषित करने और हानिकारक गैसों को कम करने के लिए शहरी क्षेत्रों में पेड़ों और पौधों की संख्या को बढ़ाना चाहिए।

4. सरकार को वाहनों, उद्योगों और बिजली संयंत्रों से निकलने वाले हानिकारक गैसों को सीमित करने के लिए सख्त नियम बनाना चाहिए।

5. जनता को वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता हैं ताकि वह इसके बारे में जान सके और वायु प्रदुषण को कम करने में मदद कर सके।

6. सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोगकिया जा सकता हैं, जिसके कारण वायु प्रदुषण को कम किया जा सकता हैं।