भारत का इतिहास - indian history in hindi

भारत का इतिहास - सिंधु घाटी सभ्यता के जन्म से शुरू होता है। जिसे हड़प्पा सभ्यता के रूप में जाना जाता है। यह दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग में लगभग 2500 ईसा पूर्व में विकसित हुआ था। जो आज पाकिस्तान और भारत के क्षेत्र है।

प्राचीन भारत का इतिहास

भारतवर्ष प्राचीन काल से उन्नत रहा है। भारत की धरती पर भगवान बुद्ध जैसे महापुरुष पैदा हुए जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व को ही अपना कुटुम्ब माना। यही अशोक ने प्रेम-बल से अपने साम्राज्य का विस्तार किया और जन-जन के हृदय का सम्राट् बन गया। 

बंगाल के पाल नरेशों के काल में शिक्षण संस्थाओं का संगठन हुआ जहां विभिन्न देशों के छात्र और विद्वान्, अपनी ज्ञान-प्राप्ति के लिए यहाँ आये।

भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है। उपमहाद्वीप में खोजी गई होमिनोइड गतिविधि के निशान से यह पता चला है कि अब के भारत का क्षेत्र लगभग 250,000 साल पहले बसा हुआ था।

indian history in hindi - भारत का इतिहास

पाषाण युग 3300 ईसा पूर्व तक

पाषाण युग की सांस्कृतिक जो लगभग 2.5 से 2 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुई थी। जिसे पत्थर से बने औजारों के शुरुआती उपयोग के लिए जाना जाता है। पैलियोलिथिक अवधि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग समय पर समाप्त हुई। 

लौह युग 1300 ईसा पूर्व 

लौह युग मानव इतिहास में एक अवधि थी जो 1200 ईसा पूर्व के बीच शुरू हुई थी। इस युग में लोग लोहे की खोज और उसका उपयोग सिख गए थे। लौह युग के दौरान, यूरोप, एशिया और अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों में लोग लोहे और स्टील से उपकरण और हथियार बनाने लगे थे।

सिन्धु घाटी सभ्यता 3300 ईसापूर्व–1500 ईसापूर्व

सिंधु घाटी, मिस्र, मेसोपोटामिया और चीन की सभ्यताओं में सबसे बड़ी सभ्याता थी। इस सभ्यता के बारे में 1920 के दशक तक कुछ भी नहीं पता था। लेकिन जब भारतीय पुरातत्व विभाग ने सिंधु घाटी में खुदाई की, जिसमें दो पुराने शहरों के खंडहर मिले थे। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा सभ्याता का पता चला। जो उस समय के विकसित और सुनियोजित शहर थे।

इमारतों और अन्य चीजों के खंडहर जैसे कि घरेलू लेख, युद्ध के हथियार, सोने और चांदी के गहने, मुहरों, खिलौने, मिट्टी के बर्तन आदि बताते हैं कि कुछ चार से पांच हजार साल पहले इस क्षेत्र में एक अत्यधिक विकसित सभ्यता पनपी थी। सिंधु घाटी सभ्यता मूल रूप से एक शहरी सभ्यता थी। जहाँ लोग अच्छी तरह से नियोजित और निर्मित शहरों में रहते थे।

मोहनजोदारो की खोज 1922 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक अधिकारी आर डी बनर्जी ने की थी। जो उत्तर में लगभग 590 किलोमीटर दूर हड़प्पा में बड़ी खुदाई शुरू होने के दो साल बाद पता चला था।

वैदिक सभ्यता 1500 ईसा पूर्व–600 ईसा पूर्व

सिंधु घाटी सभ्यता के बाद भारत के इतिहास में अगला महत्वपूर्ण युग वैदिक युग है। इस अवधि के दौरान भारत ने मानव संस्कृति को अपने अमूल्य योगदान - वैदिक साहित्य के रूप में प्रस्तुत किया। इसका श्रेय आर्यों को दिया गया जो भारत में एक अच्छे कृषि समाज के रूप में फले-फूले।

वैदिक सभ्यता इस काल की जानकारी हमे वेदों से प्राप्त होती है। जिसमे ऋग्वेद सबसे प्राचीन होने के कारण सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। 

वैदिक काल, सिंधु घाटी सभ्यता के अंत और उत्तरी मध्य-गंगा में शुरू होने प्रमुख सभ्यता है। इस काल के लोगो को आर्य कहा जाता था। और वर्तमान भारत को जम्बूद्वीप के नाम से जाना जाता था। 

इतिहासकारों का मानना है कि आर्य उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में रहते थे इस कारण आर्य सभ्यता का केन्द्र मुख्यतः उत्तर भारत था। इस काल में उत्तर भारत कई भागों में बंटा था।

भारतीय नगरीकरण 600 ईसा पूर्व–200 ईसा पूर्व

चौथी सदी में चन्द्रगुप्त मौर्य भारत को यूनानी शासकों से मुक्ति दिला दी। इसके बाद उसने मगध की ओर अपना ध्यान केन्द्रित किया जो उस समय नंद वंश के शासन में था। सम्राट धनानंद ने चाणक्य को अपमानित कर अपने राजमहल से बाहर निकाल दिया इसलिए चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा अपने ही बड़े भाई धनानंद को मरवा दिया। तथा चाणक्य ने चंद्र नंद को चंद्रगुप्त मौर्य दिया। इसके बाद चन्द्रगुप्त ने दक्षिण भारत की ओर अपने साम्राज्य का विस्तार किया। 

मौर्य वंश के पतन के बाद शुंग राजवंश  शासन आया। मौर्य राजा वृहदृथ के हत्या के बाद शुंग वंश की स्थापना हुई। शुंगों ने 187 ईसापूर्व से 75 ईसापूर्व तक शासन किया। इसी काल में महाराष्ट्र में सातवाहनों का और दक्षिण में चेर, चोल और पांड्यों का उदय हुआ था। 

गुप्त काल सन् 320 ईस्वी में चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त वंश की नींव राखी। इसके बाद समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय, कुमारगुप्त प्रथम और स्कंदगुप्त शासक बने। 100 वर्षों तक गुप्त वंश का अस्तित्व बना रहा। इस काल में कला और साहित्य का विकास हुआ। इस काल में प्रभावित शासक "समुद्रगुप्त" था जिसके शासनकाल में भारत को "सोने की चिड़िया" कहा जाने लगा था।

भारत का मध्यकालीन इतिहास 

200 ईसा पूर्व–1200 ईसवी

स्वर्ण युग के बाद भारतवर्ष पर मुसलमानों की काली दृटि पड़ी और उन्होंने भारत पर कई आक्रमण किये। प्रारंभिक मध्य युग में तुर्क और चुगताई-मुगल साम्राज्य स्थापित कर शासन करने लगे। फिर सिकन्दर, नादिरशाह और अहमदशाह अब्दाली ने तूफानी आक्रमण किये। परिणाम स्वरुप स्थायी मुगल शासन कायम हो गया। 

वे भारतीय संस्कृति के रंग में रंगते गये। धीरे धीरे उनकी मातृभूमि से सम्बन्ध ख़त्म हो गए। और पूरी तरह से भारत वर्ष में अपना जड़ ज़माने लगे। मुस्लिम शासकों ने भारतीय संस्कृति एवं प्रशासन के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान किया। 

मुगलों ने 1526 से भारत के कुछ हिस्सों पर शासन करना शुरू किया और 1700 तक अधिकांश उप-महाद्वीपों पर शासन किया। इसके बाद वे तेजी से घट गए, लेकिन 1850 के दशक तक नाममात्र के शासित प्रदेश थे। मुग़ल मध्य एशिया के तुर्को-मंगोल मूल के तिमुरिद वंश की एक शाखा थे।

दिल्ली सल्तनत का तात्पर्य तुर्क और पश्तून (अफगान) के पाँच अल्पकालिक मुस्लिम राज्यों से है। जिन्होंने दिल्ली के क्षेत्र में 1206 और 1526 ईस्वी के बीच शासन किया था। 16 वीं शताब्दी में मुगलों ने इनके सम्राज्य को उखाड़ फेंका, जिन्होंने भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की।

गुलाम वंश की स्थापना कुतूब अल-दीन ऐबक ने की थी, जो मुस्लिम जनरल का पसंदीदा गुलाम था और बाद में ग़ौर का सुल्तान मुअम्मद था। कुतूब अल-दीन, मुअम्मद के सबसे भरोसेमंद तुर्की अधिकारियों में से एक था और अपने गुरु की भारतीय विजय की देखरेख करता था।

1,290 में, गुलाम सुल्तानों को एक नए राजवंश द्वारा पराजय का सामना करना पड़ा, जिसे खिलजी के नाम से जाना जाता है। जलाल उद दीन फिरोज खिलजी, खिलजी वंश का संस्थापक था।

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