सिंधु घाटी सभ्यता - indus valley civilization in hindi

सिंधु घाटी - भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे विकसित सभ्यता थी। जिसका विकास 3300 से 2500 ईसा पूर्व हुआ था। 1912 में हड़प्पा की मुहरों की खोज के बाद वर्ष 1921 में उत्खनन अभियान दौरान दयाराम साहनी द्वारा एक अज्ञात सभ्यता की खोज की गई। 

यह सभ्यता सिंधु नदी के तक पर विकसित हुआ था। इसलिए इसका नाम सिंधु घाटी सभ्याता रखा गया हैं। पंजाब क्षेत्र में विकसित सभ्यता को हड़प्पा और सिंधु नदी के पास विकसित सभ्यता को मोहनजोदड़ो नाम दिया गया हैं। 

इस सभ्यता के अवशेषों को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत और अरब सागर के किनारे पाया गया हैं। मोहनजोदड़ो की खोज 1922 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी आर डी बनर्जी ने की थी। मोहनजोदड़ो के खंडहरों को 1980 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता

सिंधु घाटी सभ्यता 3300 से 1300 ईसा पूर्व विकसित एक सभ्याता थी। यह सभ्यता सिंधु नदी के साथ-साथ आज के उत्तर-पूर्व अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत में फैला हुआ है। सिंधु सभ्यता प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया के साथ दुनिया की तीन सबसे प्राचीन प्रारंभिक सभ्यताओं में सबसे बड़ी थी।

हड़प्पा और मोहनजोदड़ो को सिंधु घाटी सभ्यता के दो महान शहर माने जाते हैं। जो पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांत में सिंधु नदी घाटी के किनारे बसा हुआ था। 19 वीं और 20 वीं शताब्दी में इनकी खोज और उत्खनन ने प्राचीन भारतीय संस्कृति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान किया हैं। इन क्षेत्रों में धार्मिक प्रथाओं के साक्ष्य भी मिले है जो लगभग 5500 ईसा पूर्व पुराने हैं।

इस सभ्यता में खेती और बस्तियों का निर्माण 4000 ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुईं और लगभग 3000 ईसा पूर्व में शहरीकरण हुआ होगा। 2500 और 2000 ईसा पूर्व के बीच सिंधु घाटी सभ्यता अपने चरम पर थी।

मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के सबूत बताते हैं कि उनके पास एक विकसित शहर था। जिनके घरों में कुएं और बाथरूम के साथ-साथ एक भूमिगत जल निकासी व्यवस्था थी। यहाँ के शहरों को सुनियोजित प्रणाली से बनाया गया होगा।

सिंधु घाटी सभ्यता - indus valley civilization in hindi

सिंधु घाटी और सुमेरियन सभ्यता के बीच संपर्क के प्रमाण मिले हैं। सुमेरियन दस्तावेजों में सिंधु घाटी सभ्यता के साथ वाणिज्यिक, धार्मिक और कलात्मक सपर्क दर्ज किए गए हैं। सुमेरियन सभ्यता सिंधु घाटी को मेलुहा और यहाँ के लोगों को मेलुहाइट्स के नाम से जानते थे। इससे ज्ञात होता हैं सिंधु घाटी सभ्यता के लोग अन्य सभ्याताओ से व्यापर किया करते थे।

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का जीवन कैसा था ?

सिंधु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था कृषि और व्यापार पर आधारित थी। वे बर्तन बनाना व बुनाई के कार्य भी किया करते थे। यहाँ के लोगों को सोने, चांदी, तांबा और कांस्य के बारे में भी पता था। साथ ही इस सभ्यता के लोग कपड़ो और अनाजों का व्यापर भी किया करते थे।

साथ ही पशुपालन और कृषि कार्य में भी यहाँ के लोग संलगन थे। नदी के किनारे बसे होने का फायदा यह भी था की लोग मछलियों का उपयोग अपने भोजन में किया करते थे। सिंधु और सरस्वती नदी के आसपास मिश्रित खेती की जाती थी। बारिश और अन्य स्थानीय जल संसाधनों से कभी-कभी सिंचाई की जाती होगी। साथ ही गुजरात और पंजाब के मैदानी क्षेत्रों में जानवरों को चारा चराया जाता था।

सिंधु घाटी सभ्यता कितने वर्ष पुरानी है ?

सिंधु घाटी सभ्यता हमारी सोच से भी अधिक पुरानी हो सकती है। भारत में शोधकर्ताओं के एक समूह ने सिंधु घाटी सभ्यता में मिले अवशेषों और मिट्टी के बर्तनों पर कार्बन डेटिंग तकनीकों का उपयोग किया है। ताकि यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि सिंधु घाटी की सभ्यता कितनी पुरानी हैं। 

इस शोध से पता चला है की यह सभ्यता लगभग 3300 से 4000 साल पुरानी हैं। जबकि कई शोधकर्ता इसे 8,000 साल पुरानी बताते हैं। सिंधु घाटी की सभ्यता पाकिस्तान और उत्तरी भारत में फैले हुआ था। यह सभ्यता मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं से भी पुरानी हो सकती हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं क्या है ?

सिंधु घाटी सभ्यता एक प्राचीन भारतीय सभ्यता है। यह सभ्यता 3300 साल पहले भारतीय उप-महाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में विकसित हुआ था। सिंधु नदी के किनारे बसें होने के कारण इसका नाम सिंधु घाटी सभ्यता रखा गया है।

सिंधु घाटी सभ्यता के मुख्य नगर - हड़प्पा, मोहनजो-दारो, कालीबंगन, लोथल था जिसकी खोज हो चुकी हैं। सिंधु घाटी सभ्यता की महत्वपूर्ण विशेषताएं नियोजन शहर, पक्के ईंट के घर, मिट्टी के पात्र, ढलाई, धातुओं का निर्माण, सूती और ऊनी वस्त्रों कानिर्माण करना था।

मोहनजो-दारो में लोगों के लिए बेहतरीन स्नान सुविधाएं और जल निकासी जैसी व्यवस्था थी। इस सभ्यता के लोगो को आयुर्वेद का भी ज्ञान था। इस सभ्यता के लोग व्यापर और कृषि कार्य में संलग्न थे। साथ ही इन लोगों को धातुओ जैसे सोना, चाँदी और कासा का ज्ञान था।

2600 ईसा पूर्व तक छोटे हड़प्पा क्षेत्र बड़े शहरी केंद्र बन गए थे। इन शहरों में हड़प्पा, गनेरीवाला, मोहनजो-दारो और धोलावीरा, कालीबंगन, राखीगढ़ी, रूपार और लोथल शामिल हैं। कुल मिलाकर 1,052 से अधिक शहर और बस्तियाँ की खीज की जा चुकी हैं।

यह शहर सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के आस पास बसा हुआ था। सिंधु घाटी सभ्यता की आबादी उस समय लगभग पांच करोड़ के आस पास रही होगी। सिंधु घाटी सभ्यता एक उच्च शहरीकरण का उदाहरण हैं। इन शहरो में अपशिष्ट जल और कचरा संग्रह करने की प्रणाली थी। संभवतः सार्वजनिक अन्न भंडार और स्नान गृह भीरहा होगा। यहाँ के अधिकतर निवासी कृषक, कारीगर और व्यापारी थे।

सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल कौन सा है ?

हरियाणा के हिसार जिले में राखीगढ़ी सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बसा स्थल है। इसकी खोज 2014 में किया गया था। राखीगढ़ी स्थल का कुल क्षेत्रफल 350 हेक्टेयर हैं। यह स्थल दिल्ली से 160 किलोमीटर की दुरी पर स्थित हैं। इससे पहले पाकिस्तान में स्थित मोहनजो-दारो सबसे बड़ा स्थल था। जिसका अवशेष लगभग 300 हेक्टेयर में फैले हुए हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन कैसे हुआ ?

1800 ईसा पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता की पतन का शुरुआत हुआ। इसका मुख्य कारण व्यापार और कृषि था। माना जाता है कि 1900 ईसा पूर्व के आसपास सरस्वती नदी सूखने लगी थी। जिसके कारण कृषि और व्यापर को काफी झटका लगा था। इससे पुरे क्षेत्र का विकास अवरुद्ध हो गया और गरीबी और बेरोजगारी ने जन्म लिया। अन्य विशेषज्ञ भयंकर बाढ़ को शहर का पतन मानते हैं क्योकि सभी शहर नदी के किनारे बेस थे। इस प्रकार सिंधु घाटी सभ्यता समाप्त हो गई। 

जिसके बाद इस क्षेत्र में आर्य धीरे-धीरे बसने लगे जिसका मुख्य व्यवसाय कृषि था। इसी युग में आर्य भाषा ने जन्म लिया। जिसके आज कई साखा हैं। जिसे आज पुरे भारतीय उपमहाद्वीप में बोला जाता हैं।

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