बाजार के विस्तार को प्रभावित करने वाले तत्त्व किसी बाजार के विस्तार को प्रभावित करने वाले तत्वों को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है - (अ) वस्तु के गुण या विशेषताएँ किसी वस्तु के विस…
बाजार का वर्गीकरण बाजार के वर्गीकरण के प्रमुख आधार निम्नांकित हैं - I. क्षेत्र के आधार पर बाजार का वर्गीकरण क्षेत्र के आधार पर बाजार को मुख्य रूप से चार भागों में बाँटा जा सकता है 1.स्थानीय बाजार - …
बाजार का अर्थ एवं परिभाषा सामान्य बोलचाल की भाषा में, बाजार शब्द का अर्थ उस स्थान विशेष से लगाया जाता है। जहाँ पर किसी वस्तु के क्रेता एवं विक्रेता एकत्रित होकर वस्तुओं के क्रय-विक्रय का कार्य करते …
भारत में अब तक किये गये क्षेत्रीय अध्ययन विभिन्न विषयों पर केन्द्रित रहे हैं। प्रारम्भिक अध्ययन अर्थशास्त्रियों द्वारा किये गये थे। उनका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था, भू-स्वामित्व, आदिम साम्यव…
भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति सदैव परिवर्तनशील रही है। स्त्रियों की स्थिति में जितना उतार-चढ़ाव भारत में देखने को मिलता है। उतना अन्यत्र किसी देश में नहीं। सैद्धान्तिक दृष्टि से स्त्री को सुख व …
अल्पसंख्यक समुदायों की समस्याएँ अल्पसंख्यक समुदाय से सम्बन्धित प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं - 1. भाषा से सम्बन्धित समस्याएँ - भारतवर्ष में अंग्रेजों के शासक के रूप में प्रवेश करने के साथ-साथ इस दे…
भारत में ग्रामीण अध्ययनों का श्रेय सुप्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो. श्यामाचरण दुबे को दिया जाता है। इनकी पुस्तक 'एक भारतीय ग्राम' एक अमरकृति मानी जाती है। यह कृति हैदराबाद और सिकन्दराबाद के जुड़व…
गाँव शब्द सुनने में जितना सरल है। उसे सही अर्थ में परिभाषित करना उतना ही कठिन है। आज जबकि गाँव और शहर का पारस्परिक सम्बन्ध दिन-प्रतिदिन घनिष्ठ होता जा रहा है। गाँव क्या है ?' इसका उत्तर और भी कठि…
हिन्दू समाज में करीब चार हजार वर्ष पूर्व ही कुछ समाज चिन्तकों ने यह अनुभव किया कि व्यक्ति और समाज की प्रगति उस समय तक सम्भव नहीं है जब तक लोगों को जीवन के मूलभूत तथ्यों से परिचित नहीं कराया जाता। जब …
नगर के विकास का इतिहास मानवीय संसाधनों के विकास के साथ सम्बद्ध रहा है। मानव उद्विकास के क्रम में मनुष्य को विभिन्न अवस्थाओं से होकर सभ्यता के वर्तमान स्तर तक पहुँचा दिया है। इसी क्रम में आखेट अवस्था,…
विश्व में भारतीय समाज का महत्व तथा पहचान संस्कृति के कारण ही होती रही है। प्राचीनकाल से ही अनेक सामाजिक संस्थाओं का उदय होता रहा है। जिसके द्वारा व्यक्तियों की आवश्यकताओं की पूर्ति होती रही तथा समाज …