आदिकाल से ही प्रत्येक समाज में धर्म किसी-न-किसी रूप में विद्यमान रहा है। रिलीजन का शाब्दिक अर्थ है पवित्रता। इसकी व्युत्पत्ति लैटिन के ‘Religion' शब्द से हुई है। जिसका अर्थ पवित्रता, साधु…
कर्म शब्द की व्युत्पत्ति 'कृ' धातु से हुई है जिसका अर्थ है करना 'व्यापार' या 'हलचल' । इस अर्थ की दृष्टि से मनुष्य जो कुछ करता है। वह सभी 'कर्म' के से अन्तर्गत आता है -…
वर्ण का आशय – वर्ण शब्द 'वृम् वरणो' धातु से उत्पन्न हुआ है। इसका अर्थ है वरण करना अथवा चुनना। इस प्रकार वरण से तात्पर्य किसी विशेष व्यवसाय को चुनने या अपनाने से है। वर्ण उस वर्ग का सूचक शब्द …
आजकल अपराधियों को सुधारने के लिए प्रचलित तरीकों में से प्रोबेशन या परिवीक्षा प्रणाली को अधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया जाने लगा है। यह प्रणाली पाश्चात्य जगत् की देन है जिसका प्रारम्भ जॉन आगस्टस ने अमेरिक…
परिवीक्षा सुधार 20वीं शताब्दी को सुधार का युग माना जाता है। प्रोबेशन इसी सुधार युग का परिणाम है। इस में मानवतावादी दृष्टिकोण को प्रमुख स्थान दिया गया है। इस सुधार कार्यक्रम में उपयोगितावादी दृष्टिकोण…
दण्ड सामाजिक नियन्त्रण का एक साधन है। रैकलेस के विचार में दण्ड एक प्रकार की अस्वीकृति है जिसके अन्तर्गत समाज में अपने अपराधी सदस्यों पर शक्तियाँ दबावपूर्ण उपायों के उपचार हेतु प्रयोग करता है। दूसरे श…
प्रत्येक समाज साधारणतया अपने को अपराधों से मुक्त रखना चाहता है। कोई भी समाज अपने को अपराधों से मुक्त कैसे रख सकता है तथा वह अपराधियों को सुधार कर उन्हें सुयोग्य नागरिक कैसे बनाए। यह उसके सामने एक विक…
सामाजिक समस्या अर्थ और परिभाषाएँ - सामाजिक समस्या को परिभाषित करना यद्यपि कठिन अवश्य है, परन्तु फिर भी बहुत से विद्वानों अपने-अपने दृष्टिकोण से इसे परिभाषित किया है। डब्ल्यू. वेलेस वीवर के अनुसार स…
भारत में ब्रिटिश शासनकाल से ही आंशिक रूप से प्रोबेशन प्रणाली का प्रचलन हुआ था। 19वीं शताब्दी में अंग्रेजी विधान के अन्तर्गत दण्ड विधान में प्रोबेशन प्रणाली का उल्लेख किया गया था। सन् 1861 में बनाए गए…
प्रत्येक काल एवं परिस्थिति में विद्वानों ने दंड की अनिवार्यता को स्वीकार किया हैं। इसके साथ ही इन विद्वानों ने दण्ड की प्रकृति, मात्रा एवं प्रकार के सम्बन्ध में भी अपने विचार व्यक्त किये है। …