वर्ण-व्यवस्था क्या है - varn-vyavastha kya hai

वर्ण का आशय – वर्ण शब्द 'वृम् वरणो' धातु से उत्पन्न हुआ है। इसका अर्थ है वरण करना अथवा चुनना। इस प्रकार वरण से तात्पर्य किसी विशेष व्यवसाय को चुनने या अपनाने से है। वर्ण उस वर्ग का सूचक शब्द …

परिवीक्षा को परिभाषित कीजिए - pariveeksha ko paribhaashit keejie

आजकल अपराधियों को सुधारने के लिए प्रचलित तरीकों में से प्रोबेशन या परिवीक्षा प्रणाली को अधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया जाने लगा है। यह प्रणाली पाश्चात्य जगत् की देन है जिसका प्रारम्भ जॉन आगस्टस ने अमेरिक…

परिवीक्षा क्या है - pairol kya hai

परिवीक्षा सुधार 20वीं शताब्दी को सुधार का युग माना जाता है। प्रोबेशन इसी सुधार युग का परिणाम है। इस में मानवतावादी दृष्टिकोण को प्रमुख स्थान दिया गया है। इस सुधार कार्यक्रम में उपयोगितावादी दृष्टिकोण…

दण्ड की परिभाषा - dand kee paribhaasha

दण्ड सामाजिक नियन्त्रण का एक साधन है। रैकलेस के विचार में दण्ड एक प्रकार की अस्वीकृति है जिसके अन्तर्गत समाज में अपने अपराधी सदस्यों पर शक्तियाँ दबावपूर्ण उपायों के उपचार हेतु प्रयोग करता है। दूसरे श…

दंड की अवधारणा क्या है - dand ki avdharna kya hai

प्रत्येक समाज साधारणतया अपने को अपराधों से मुक्त रखना चाहता है। कोई भी समाज अपने को अपराधों से मुक्त कैसे रख सकता है तथा वह अपराधियों को सुधार कर उन्हें सुयोग्य नागरिक कैसे बनाए। यह उसके सामने एक विक…

सामाजिक समस्या क्या है - samajik samasya kya hai

सामाजिक समस्या अर्थ और परिभाषाएँ -  सामाजिक समस्या को परिभाषित करना यद्यपि कठिन अवश्य है, परन्तु फिर भी बहुत से विद्वानों अपने-अपने दृष्टिकोण से इसे परिभाषित किया है।  डब्ल्यू. वेलेस वीवर के अनुसार स…

परिवीक्षा अवधि क्या है - pariveeksha avadhi kya hai

भारत में ब्रिटिश शासनकाल से ही आंशिक रूप से प्रोबेशन प्रणाली का प्रचलन हुआ था। 19वीं शताब्दी में अंग्रेजी विधान के अन्तर्गत दण्ड विधान में प्रोबेशन प्रणाली का उल्लेख किया गया था। सन् 1861 में बनाए गए…

दंड के प्रमुख सिद्धांत - dand ke siddhaant

प्रत्येक काल एवं परिस्थिति में विद्वानों ने दंड की अनिवार्यता को स्वीकार किया हैं। इसके साथ ही इन विद्वानों ने दण्ड की प्रकृति, मात्रा एवं प्रकार के सम्बन्ध में भी अपने विचार व्यक्त किये है। …

भारत में सामाजिक परिवर्तन - bhaarat mein saamaajik parivartan

परिवर्तन प्रकृति का नियम है जो निरन्तर समाज में किसी न किसी रूप में निरन्तर होता रहता है परिवर्तन के परिणामस्वरूप समाज में नवीनता आती है। आज और कल में जो अन्तर होता है वह परिवर्तन कहा जाता है। परिवर्…

दण्ड का अर्थ है - dand ka arth

अधिकांशतः दण्ड का अर्थ शारीरिक पीड़ा से लिया जाता है किन्तु यह सदा आवश्यक नहीं है । दण्ड तो सामाजिक नियन्त्रण का साधन है। कॉनसाइज डिक्शनरी के अनुसार दण्ड का अर्थ है, दर्द, जुर्माना, ईश्वर या न्यायानु…