परिवर्तन प्रकृति का नियम है जो निरन्तर समाज में किसी न किसी रूप में निरन्तर होता रहता है परिवर्तन के परिणामस्वरूप समाज में नवीनता आती है। आज और कल में जो अन्तर होता है वह परिवर्तन कहा जाता है। परिवर्…
अधिकांशतः दण्ड का अर्थ शारीरिक पीड़ा से लिया जाता है किन्तु यह सदा आवश्यक नहीं है । दण्ड तो सामाजिक नियन्त्रण का साधन है। कॉनसाइज डिक्शनरी के अनुसार दण्ड का अर्थ है, दर्द, जुर्माना, ईश्वर या न्यायानु…
परिवीक्षा या प्रोबेशन के बारे में विस्तृत विवेचन करने से पूर्व इसके वास्तविक अर्थ को समझना अति आवश्यक है। प्रोबेशन की शाब्दिक व्याख्या करें तो स्पष्ट होता है कि यह एक अंग्रेजी भाषा का शब्द है। जिसके …
पुलिस द्वारा राज्य में शान्ति बनाये रखने, राज्य द्वारा पारित नियमों को मनवाने अथवा दण्ड देने जैसे कार्य करती है। सामान्य रूप से पुलिस का कार्य समाज में व्यवस्था बनाए रखना व कानून को लागू करना है…
न्यायालय या न्यायतन्त्र का सम्बन्ध जिन विधियों से होता है वे अपराधी और अपराध से सम्बन्धित युक्त होती हैं। न्यायालय प्राथमिक रूप से अपराध के प्रति समाज की दण्डात्मक प्रतिक्रिया को लागू करने के लिए संग…
कुछ अपराधशास्त्रियों का मत है कि अपराध एक जन्मजात प्रवृत्ति है तथा इसका निवारण तब ही हो सकता है जब अपराधियों का बन्ध्याकरण कर दिया जाये। लेकिन यह धारणा एक भ्रममूलक धारणा है। क्योंकि अपराध की प्रवृत्त…
अति प्राचीनकाल से ही भारत में बन्दीगृह की व्यवस्था रही है। प्राचीन समय के बन्दीगृह अंधेरी, बन्द, गन्दी और छोटी-छोटी कोठरियाँ होती थीं। निर्जन स्थानों और गुफाओं को भी बन्दीगृहों के रूप में प्रयुक्त कि…
शुक्र सूर्य से दूसरा ग्रह है और पृथ्वी का निकटतम ग्रह है। यह चार आंतरिक, स्थलीय ग्रहों में से एक है, और इसे अक्सर पृथ्वी का जुड़वां बहन कहा जाता है, क्योंकि यह आकार और घनत्व में समान है। हालां…
समाज व्यक्तियों के बीच पाई जाने वाली सामाजिक सम्बन्धों की व्यवस्था है ये सम्बन्ध आपस में सामाजिक अन्तः क्रिया के फलस्वरूप स्थापित होते हैं तथा व्यक्तियों में पारस्परिक निर्भरता पाई जाती है फलस्वरूप व…
मद्यपान का तात्पर्य मादक द्रव वस्तुओं के सेवन से है। भारत में लम्बे समय से मादक द्रव वस्तुओं, जैसे- भाँग, गाँजा, अफीम, कोकीन, शराब आदि का सेवन लोगों द्वारा विभिन्न कारणों से किया जाता रहा है। आज भी …