उर्दू भाषा की लिपि नस्तालीक़ है। उर्दू एक इंडो-आर्यन भाषा है। इस भाषा का अधिकतर उपयोग भारतीय उपमहाद्वीप में किया जाता हैं। उर्दू जम्मू कश्मीर का राजकीय भाषा हैं जबकि पडोसी देश पाकिस्तान का राष्ट्रीय भाषा है। भारत के तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश में उर्दू बोली जाती है।
उर्दू भाषा का इतिहास
उर्दू का विकास 11 वीं शताब्दी में मुगल काल के समय हुआ था। यह हिंदुस्तानी भाषा परिवार का एक प्रमुख भाषा है। उर्दू शब्द की उत्पत्ति चगताई भाषा से हुयी है। जो एक विलुप्त तुर्की भाषा है। हलाकि उर्दू को हिंदी के समान कहा जाता है। लेकिन हिंदी देवनागरी लिपि का उपयोग करती है। जबकि उर्दू फारसी-अरबी का उपयोग करती है।
उर्दू भाषा फारसी शब्दों पर अधिक निर्भर करती है। 1780 में कवि गुलाम हमदानी मुशफी ने इस भाषा को उर्दू नाम दिया, जिसके कारण भारत में मुसलमानों और हिंदुओं में अलगाव की भावना शुरू हो गयी थी। इसके बाद सभी मुसलमान उर्दू बोलने लगे।
फारसी से संबंध
उर्दू अरबी वर्णमाला का उपयोग करता है। उर्दू में जो अतिरिक्त अक्षर पाए जाते हैं उनमें ٹ, शामिल हैं। वर्णमाला को और समृद्ध बनाने के लिए ه (h) और ی (y) जैसे ध्वनियों का उपयोग किया जाता हैं।
उर्दू को दाएं से बाएं नस्तालीक़ शैली में भी लिखा जाता है। नस्तलीक शैली को श्रापपूर्ण लिपि माना जाता है, जिसका आविष्कार तबरेज़ के मिर अलली ने किया था। जो मुगल काल में 1402 से 1502 तक एक प्रसिद्ध लेखक थे।
