छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल - Major tourist places of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ राज्य के पुरातात्विक वैभव को जानने के प्रमुख साधन हैं -  उत्कीर्ण लेख , सिक्के स्थापत्य और शिल्प। पुरातत्व ने राज्य के इतिहास की कड़ियों को जोड़ने का काम किया है। शिलालेखों से न केवल राजनीतिक स्थिति का ही ज्ञान होता है अपितु तात्कालिन लिपि और भाषा पर भी पर्याप्त प्रकाश पड़ता है।

महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल

राजिम - राजिम को राज्य का महातीर्थ माना गया है। राज्य की प्रमुख महत्वपूर्ण और धार्मिक आस्थाओं से युक्त महानदी के दाहिने तठ पर बसा नगर है राज्य के प्रयाग नाम से ख्यातिलब्ध राजिम रायपुर से लगभग 48 किमी दूर महानदी , पैरी एवं सोंढूर नदियों के संगम पर बसा है।

यह बस मार्ग और रेल मार्ग से रायपुर से जुड़ा हुआ है. प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा पर यहां एक बड़ा मेला लगता है. इस मेले में प्रति वर्ष बहुत अधिक संख्या में श्रद्धालु पर्यटक पवित्र महानदी में स्नान करके पुण्य लाभ उठाते है. राजिम का विशेष धार्मिक महत्व है. जगन्नाथ की यात्रा के पश्चात ऐसी मान्यता है की इस स्थान की यात्रा करना भी अनिवार्य है।

छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल

चंपारण्य - वल्लभ सम्प्रदाय के प्रणेता प्रसिद्ध वल्लभाचार्य का धाम चंपारण राजिम से मात्र 9 किमी की दूरी पर स्थित है. प्रति वर्ष माघ पूर्णिमा में यहा मेला लगता है आचार्य वल्लभाचार्य को समर्पित मन्दिर के अतिरिक्त एक पुराना शिव मंदिर भी है. पुरातनता के अतिरिक्त मंदिर में स्थापित शिवलिंग में क्रमशः शिव -पार्वती , गणेश एक साथ समाहित हैं।

डोंगरगढ़ -राजनान्द गांव जिले के मुख्यालय राजनान्द गांव से यह 57 किमी की दूरी पर स्थित है. दक्षिण पूर्व रेलवे के नागपुर हावड़ा मार्ग पर यह रेलवे स्टेशन है I मन्दिर  का निर्माण राजा कामदेव ने करवाया था. रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किमी की दूरी पर स्थित ऊंची पहाड़ी पर ' बम्बलेस्वरी देवी ' का मंदिर स्थित है।

मल्हार - भारतवर्ष में 52 शक्तिपीठ हैं I उनमें से इक्यावनवा { 51 नंबर } शक्तिपीठ मल्हार में स्थापित है. मल्हार में उत्खनन से प्राप्त प्तालेश्वर, देउरी मंदिर में डिड़नेश्वरी मंदिर दर्शनीय हैं. डिडनेश्वरी मन्दिर विश्वविख्यात हो चुका है. इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1954 ई. में किया गया. मंदिर के अंदर एक ऊंचे संगमरमर के आसन पर स्थापित डिडनेश्वरी देवी की प्रतिमा मूर्तिकला का सर्बोत्तम नमूना है. यह प्रतिमा अत्यंत कीमती शुद्ध काले ग्रेनाइड से बनी है।

सिरपुर - सिरपुर का प्राचीन नाम ' श्रीपुर ' था ,  जिसका अर्थ है ' समृद्धि की नगरी ' प्राचीन दक्षिण कोशल प्रदेश की राजधानी रही सिरपुर को चीनी यात्री हैंसांग ने देखा था।

पाली - यह ऐतिहासिक ग्राम कोरबा जिले के अंतर्गत बिलासपुर-कोरबा सड़क मार्ग पर बिलासपुर से लगभग 43 किमी की दूरी पर स्थित है I यहां जलाशय के समीप स्थित शिव मंदिर दर्शनीय है. यह। लगभग एक हजार वर्ष पुराना मंदिर है, जिसे बाण वंश के राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था. मन्दिर का स्थापत्य एवं उकेरी गयी मूर्तियां बहुत सुंदर है।

गिरौधपुरी - यह सतनामी समाज का प्रमुख तर्थ स्थल है. यहा पर गुरु घासीदास का निवास स्थान एवं चरनकुण्ड , अमृत कुण्ड , छाता पहाड़ आदि दर्शनीय हैं।

तुरतुरिया - रायपुर से बलौदा बाजार होते हुए 84 किमी की दूरी पर स्थित है. यहां आठवीं शताब्दी के बौद्ध काल के अवशेष और हिन्दू धर्म की अनेक सुंदर मूर्तियां हैं। 

रतनपुर - यहां अनेक सुंदर मंदिर, जलाशय, प्राचीन किलों के अवशेष हैं यहां दर्शनीय स्थलों में सिद्ध शक्तिपीठ , महामाया मन्दिर , रामटेक मंदिर , कंठीदेवल शिव मंदिर , बांध हैं , जो पिकनिक { PARTY } के लिए अच्छा स्थान है।

आरंग - यह रायपुर से सम्बलपुर जाने वाले मार्ग - 6 पर 37 किमी पूर्व की ओर स्थित है. यहां ऐतिहासिक पुरातात्विक महत्व के अनेक मंदिर स्थित है , इसलिए इसे मन्दिरों का नगर कहा जाता है. इसमे जैन तीर्थकरों की अनेक प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं. नेमिनाथ , अजितनाथ व श्रेयांश की 7 फुट ऊंची ग्रेनाइड पत्थर की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। इस मंदिर में भाई-बहन एक साथ प्रवेश नहीं करते , ऐसी जनश्रुति है।

कुनकुरी - यह रायगढ़ और जशपुर राजमार्ग पर जशपुर से लगभग 45 किमी पहले कुनकुरी स्थान पर स्थित है. यह चर्च देश-विदेश में प्रसिध्द है. यह कैथोलिक ईसाइयों का पवित्र स्थान हैं।

जांजगीर - हैहय वंश के प्रसिद्ध शासक जाजल्यदेव द्वारा बसाई गई नगरी है। यहां 12 वीं सताब्दी में निर्मित विष्णु मन्दिर है, जो कलचुटि विष्णु मन्दिर की तरह एक प्राचीन शिव मन्दिर है।

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