सखा? सुनों मेरी इक बात। वह लतागन संग गोरिन सुधि करत पछितात।। कहाँ वह वृषभानु तन या परम् सुंदर गात। सरति आए रासरस की अधिक जिय अकुलात।। सदा हित यह रहत नाहीं सकल मिथ्या-जात। सूर प्रभू यह सुनौ मोसों एक ह…
10. लिंग : Gender Gender in Hindi नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग में इसका मुख्य उद्देश्य है। हिंदी माध्यम में आपतक जानकारी जितना ज्यादा हो सके पहुंचाना आज हम हिंदी व्याकरण/ग्रामर के अं…
जदुपति लख्यो तेहि मुसकात। कहत हम मन रही जोई सोइ भई यह बात।। बचन परगट करन लागे प्रेम-कथा चलाय। सुनहु उध्दव मोहिं ब्रज की सुधि नहीं बिसराय।। रैनि सोवत, चलत, जागत लगत नहिं मन आन। नंद जसुमति नारि नर…
हरि गोकुल की प्रीति चलाई। सुनहु उपंगसुत मोहिं न बिसरत ब्रजवासी सुखदाई।। यह चित होत जाऊँ मैं, अबही, यहाँ नहीं मन लागत। गोप सुग्वाल गाय बन चारत अति दुख पायो त्यागत।। कहँ माखन-चोरी? कह जसुमति 'पूत ज…
तबहिं उपंगसुत आय गए। सखा सखा कछु अंतर नाही भरि-भरि अंक लए।। अति सुंदर तन स्याम सरीखो देखत हरि पछताने। एसे को वैसी बुधि होती ब्रज पठवै तब आन…