Chapter 7.2 - अस्थाई बंधक नट और उसके प्रकार
अपने पिछले पोस्ट में आपसे बात किया था इसी Nut bolt and Loking Method के बारे में जिसमे मैने आपको बताया था सरसरी तौर पर इसके प्रकारों को की बंधक (Fastener) कितने प्रकार के होते हैं। आज हम इस पोस्ट में इसी के प्रकार अस्थाई बंधक की चर्चा करने वाले हैं।
टेम्पररी फास्टनर क्या हैं - Temporary Fastener
आपको तो पता ही होगा की कोई भी मशीन सिर्फ एक पार्ट से नही बनता है बल्कि अनेक और एक से अधिक पार्ट्स के मिलने से बनता है। तो यह इन्ही पार्ट्स को जोड़कर रखने का काम करता है।
सबसे पहले यह जान लेते हैं की यह अस्थाई फास्टनर एक प्रकार के ऐसे बंधक टूल्स हैं जिसका प्रयोग किसी मशीन के ऐसे पार्ट की बाइंडिंग या उसको जोड़े रखने के लिए किया जाता जिसको भविष्य में कभी-भी खोला या खराब होने पर दुबारा निकाल के बनाया जा सके यह इसी कारण अस्थाई फास्टनर के नाम से जाना जाता है।
यानी की यह फिक्स नही होता और मशीन के खराब होने पर इसे डीजल मैकेनिक के द्वारा दुबारा से निकाला और लगाया जा सकता है। अब चलिए जानते हैं इसके प्रकार के बारे में की यह कितने प्रकार का होता है-
टेम्पररी फास्टनर के प्रकार
- Bolt
- Screw
- Nut
- Washer
- Key and keyhole
Nut क्या है
यह एक लोहे या अन्य धातु का बना चौकोर या हेक्सागोनल में कटा हुआ गोल होता है और इसके मध्य का भाग खाली होता है जिस पर चूड़ी कटी होती है बोल्ट को ध्यान में रखकर इसके अंदर की ओर चूड़ी निकाली जाती है।
जिस प्रकार किसी बोल्ट का ऊपरी सिरा चौकोर या छह कोनो वाला होता है उसी प्रकार यह भी होता है। इसके भी अलग अलग प्रकार होते हैं जो की इस प्रकार हैं -
नट के प्रकार
1. हेक्सागोनल नट - यह छः कोने वाला नट है जिसका ऊपरी भाग छः पहल में मुड़ा हुआ गोल होता है
2. चौकोर नट - चौकोर होता है। चतुर्भुज के समान कोण का।
3. फ़्लैट नट - जैसे की नाम से पता चल रहा है स्पाट होता है।
4. नर्ल्ड नट - इस प्रकार के नट मुड़े हुए होते हैं।
5. विंग नट - जैसे की नाम से पता चल रहा है इस प्रकार नट में पंख के समान उभरे हुए भाग होते हैं
6. कैप नट - इस प्रकार के नट ढक्क्न के समान होते हैं एक निश्चित्त सीमा तक टाइट किये जा सकते हैं।
7. डोम नट - यह भी उसी प्रकार होता है जिस प्रकार कैप नट होता है।
8. कैप्सटन नट - यह ऐसा नट होता है जिसके अगल बगल में छेद होते हैं।
9. रिंग नट - यह रिंग के समान ही होता है इसमें कोई पहल नहीं कटे होते हैं बल्कि बिच बिच में खांचे बने होते हैं।
10. थम्ब नट - यह दो भागों में बटा होता है और इसके एक भाग में महीन गेयर के समान कटिंग होती है
नट से किसी मशीन को किस प्रकार फिट किया जाता है या जॉइंट किया जाता है उसे हम निम्न विधियों के अंतर्गत जानने वाले हैं जो की इस प्रकार है -
नट लॉकिंग युक्तियां क्या है
आपको पता ही होगा की जब हम किसी मशीन को चालू करते हैं तो उसमें कितना कम्पन होता है कितना ज्यादा प्रभाव मशीन के पुर्जों पर पड़ता है। इसी प्रभाव के कारण कई बार नट जो मशीन को बांध कर रखे रहता है वह ढीला हो जाता है जिससे मशीन में आवाज आने लगती है। इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए नट लॉकिंग विधियों का प्रयोग किया जाता है जिसकी की विधियां हैं उनको मैने यहां पर बताया है चलिए जानते हैं।
Types Of Nut Locking Method
- लॉक नट विधि
- स्प्रिटसिट नट विधि
- कैसल नट विधि
- स्लोटेड नट विधि
- पिन नट विधि
- स्वान नट विधि
- सारामण्ड लॉक नट विधि
- स्प्रिंग वासर विधि आदि।
1. लॉक नट विधि - इसे प्रायः चेक नट विधि के नाम से भी जाना जाता है इस विधि में एक नट को बोल्ट के ऊपर कसने के बाद उसके ऊपर एक और नट को कस दिया जाता है जिससे वह पहले वाला नट बाहर की तरफ न निकले। यह नट जो उस नट के ऊपर कसा जाता है वह पहले नट की अपेक्षा पटना होता है।
2. स्प्रिटसीट नट विधि - इस स्प्रिट सीट नट विधि का प्रयोग इस प्रकार किया जाता है सबसे पहले नट को कस दिया जाता है फिर उस बोल्ट के आखरी सिरे पर छेद कर दिया जाता है। जिस पर स्प्रिट जिसे आम भाषा में रिपीट कहा जाता है उसे उस छेद में घुसाकर दोनों ओर से मोड़ दिया जाता है। इस प्रकार नट लॉक हो जाता है।
3. कैसल नट विधि - इसमें ऊपर की ओर पतला कॉलर बना होता है जिसमें आमने सामने छः स्लॉट कटे होते हैं। इसको नट टाइट करने के बाद किसी एक स्लॉट में बोल्ट से होते हुए आरपार छेद कर दिया दिया जाता है और उस पर स्प्रिट पिन कस कर मोड़ दिया जाता है।
4. स्लॉटेड नट विधि - इस विधि में इस विधि में जो नट प्रयोग किया जाता है उसमें कॉलर नहीं बना होता है इसमें भी कैसल नट की तरह स्लॉट कटे होते हैं तथा बोल्ट में जो आर-पार छेद रहता है उसमें स्प्रिट पिन फंसाकर मोड़ दिया जाता है।
5. पिन नट विधि - इस विधी में नट को पूरा टाइट करने के बाद नट की एक पहल से चिपका हुआ जॉब की सतह में एक ड्रील होल बनाकर उसमें एक पिन लगा दी जाती है। यह पिन जो उसमें लगाया जाता है नट को घूमने नहीं देती है परन्तु इस विधि में यदि नट को और अधिक टाइट करना हो तो पिन को निकाले की आवश्यकता होती है बिना पिन को निकाले उसे अर्थात नट को टाइट नहीं किया जा सकता है।
6. स्वान नट विधि - इस विधि में नट के एक पहल में खांचा कटा होता है, इस पहल में ऊपर की ओर से एक ड्रिल करके उसी के अनुसार महीन चूड़ी काट दी जाती है। नट को पूरा टाइट करने के बाद काटे गए चूड़ी में एक स्क्रू को टाइट कर दिया जाता है।
7. सारामंड लॉक नट विधि - इसके लिए छः पहल वाले नट के ऊपर एक कॉलर बनाया जाता है, और इस कॉलर में रबड़, नायलॉन आदि का ऐसा वासर फिट किया जाता है की जब नट को टाइट किया जाता है तो उसमें जो वासर फीट किया गया होता है वह चूड़ियों में भर जाता है। जिससे वह ढीला नहीं होता है।
8. स्प्रिंग वासर विधि - इस विधि में एक विशेष प्रकार का स्प्रिंग वासर प्रयोग किया जाता है तथा यह वासर नट के पहले फिट किया जाता है। नट को पूरा कसने के साथ ही स्प्रिंग टेंशन के साथ ही इसके दोनों सिरे आमने सामने एक सतह पर आ जाते हैं टेंशन के कारण नट ढ़ीला नहीं हो पाता है।
इस प्रकार नट द्वारा इंजन के किसी भी पार्ट को बाँधा जा सकता है अर्थात जोड़ा जा सकता है इसी लिए इसे बंधक टूल्स के नाम से भी जाना जाता है।