सौरमंडल क्या है solar system in hindi
सौरमंडल हमारे चारों ओर दूर-दूर तक फैला स्वच्छ विस्तृत बाहरी आकाश, एक महासमुद्र की
भांति है, इसको ही अंतरिक्ष कहते हैं। प्राचीन काल से ही वैज्ञानिकों द्वारा
इसके गूढ रहस्यों का पता लगाने का प्रयास किया जाता रहा है।
आज तो मानव
निर्मित उपग्रहों, रॉकेटों, विशालकाय स्वयं-नियन्त्रित इलेक्ट्रॉनिक
दूर्बीनों एवं वेधशालाओं से इसका निरन्तर अध्ययन किया जा रहा है। यह बाहरी
आकाश या अन्तरिक्ष आश्चर्य भरे अनेकानेक स्वरूपों एवं तथ्यों का अनन्त भण्डार
है। अभी तक जो भी खोज हो पायी है उसके आधार पर इसके विस्तार को अनन्त ही कहा
जा सकता है।
क्योंकि वैज्ञानिकों द्वारा विशेष शक्तिशाली अति संवेदनशील एवं
इलेक्ट्रॉनिक दूरबीन, उपग्रहों के टेलीविजन कैमरों तथा दूरबीनों से अब तक
इसके सौ प्रकाश वर्षों से भी अधिक गहराई तक की इसको विशेषताओं एवं इसके
विस्तार को ही नापकर देखा जा सका है। अब तक इसकी जो खोज की गयी है
उसके अनुसार इस अनन्त अन्तरिक्ष में अनेक निहारिकाएं, काले छिद्र
(Black Holes), स्वयं विस्फोट करती निहारिकाएँ, गेलेक्सी (आकाश गंगा), अति
ज्वलनशील एवं प्रकाशशील विशेष आकार की अनेक प्रकार की निहारिकाएँ, आद्य
पदार्थों या ब्रह्माण्डीय धूल (Cosmic Dust) का संघटन, आदि का हा अब तक कित
किया जा सका है। ब्रह्माण्ड के इस स्वरूप में निचले स्तर पर तारे,ग्रह,
अवान्तर प्रह, उल्का, पुच्छल तारे (धूमकेतु), उपमह (चन्द्रमा), आदि पाये जाते
हैं।
हमें रात्रि को आकाश में जो कुछ भी आकर्षक दिखायी देते हैं वे तो मात्र विशाल
अन्तरिक्ष की एक बूंद से भी छोटा भाग ही है। इस ब्रह्माण्ड की सैकड़ों
निहारिकाओं में से प्रत्येक में करोड़ों सूर्य पाये जाते हैं। इनमें से
अधिकांश तो हमारे सूर्य से भी विशाल एवं बहुत विशाल हैं।
भारतीय ज्योतिष में
जो नक्षत्र गिनाये गये हैं वे भी वास्तव में ऐसे ही तारों या सूर्यों के ही
नाम हैं। हमारा सौरमण्डल एवं सूर्य जिस गैलेक्सी का सदस्य है, उनका नाम
एन्ड्रोमेडा (देवयानी) निहारिका है। इसमें हमारे सूर्य जैसे दो करोड़ से भी
अधिक तारे है। इनमें से अधिकांश में हमारे सूर्य की भांति ही प्रह-उपग्रहों
का अपना सौरमण्डल भी है।
इसी आधार पर आज के वैज्ञानिकों का दृढ़ विश्वास है कि अन्तरिक्ष में कहीं न
कहीं हमारे जैसा या हमसे भी विकसित वैज्ञानिक संसार एक या अधिक आकाशीय
पिण्डों में अवश्य होना चाहिए। अन्तरिक्ष वैज्ञानिक भी उडनतश्तरियों को इसका
महत्वपूर्ण प्रमा इसके अतिरिक्त, अति संवेदनशील दूर्वानों को फिल्म पर
प्राप्त विशेष सांकेतिक चिह्न भी इसी से सम्बन्धित हो सकते।
हमारी देवयानी
आकाशगंगा का
रात्रि के अंधेरे में स्वच्छ आकाश में स्पष्टता से अवलोकन किया। जा सकता है।
इसकी आकृति कुम्हार के चाक की भांति है।
उपर्युक्त विवेचन के पश्चात् भी यह उल्लेख करना आवश्यक होगा कि अंतरिक्ष और
आकाश के बीच अन्तर यह है कि आकाश सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का सूचक है जिसमें
पृथ्वी भी सम्मिलित है जबकि अंतरिक्ष का अर्थ पृथ्वी को छोड़कर शेष सभी स्थान
है। वस्ततः अन्तरिक्ष वहाँ से रोकर शेष सभी स्थान है।
वस्तुतः अन्तरिक्ष वहां
से शुरू होता है जहाँ पृथ्वी का वाताव के पैमानों से मापना सम्भव नहीं है।
समाप्त होता है। अन्तरिक्ष अनन्त है। इसके आयामों को हमारी पृथ्वी के पैमानों
से मापना मामा इसीलिए प्रकाश वर्ष और खगोलीय इकाई जैसे नए पैमानों को अपनाया
गया है।