top 5 vaigyanik in hindi
गंभीर अनुसंधानों में डूबे रहने वाले वैज्ञानिक भी विनोदप्रिय हो सकते हैं, यहां दिए गए प्रसंग पढ़ कर इन्हें नीरस व शुष्क मानने वाले जरूर हैरत में पड़ जाएंगे। विश्व के महान वैज्ञानिकों ने अपने अथक प्रयासों एवं अनवरत परिश्रम से उन अविष्कारों को जन्म दिया, जिनके कारण आज का युग विज्ञान का युग कहलाता है।
वैज्ञानिक का जीवन आडंबरों से दूर सादगीपूर्ण रहा है। वे जीवन में शुष्क नहीं वरन सरस एवं विनोदप्रिय भी होते हैं। ऐसे ही कुछ वैज्ञानिकों के रोचक प्रसंग यहां प्रस्तुत है।
1. रोचक व्यक्तित्व के धनी एडिसन
बिजली संबंधी अनेक आविष्कारों के जन्मदाता टामस एलवा एडिसन एक बार आधी रात्रि को प्रयोगशाला मैं बैठे कोई अनुसंधान कर रहे थे। अचानक उन के मुख पर मुस्कान बिखर गई। उनके चेहरे पर आई मुस्कान को देख कर उनका जो सहायक था वह सोचा की "एडिसन की कोई समस्या हल हो गई , उसने एडिसन से पूछा , "आपको हल मिल गया ? शायद समस्या सुलझ गई है। "
टामस एलवा एडिसन ने हसते हुए कहा , "नहीं भाई , यह अंतिम प्रयोग भी समस्या को सुलझा नहीं पाया। अब मैं इसे नए सिरे से सुलझाने में जुट सकता हूँ। मुझे इस प्रयोग को और आगे बढ़ाना होगा। अपने को और व्यस्त रख पाने से मैं प्रसन्न हो उठा हूँ। "
एडिसन कठोर परिश्रमी थे , अपने एक मित्र को उन्होंने बातचीत के दौरान बताया , मैं प्रतिदिन 18 घंटे कार्य करता हूँ। " इस पर वह मित्र बोला, "इसीलिए आपने विज्ञान के क्षेत्र में इतनी बड़ी सफलता प्राप्त की है। सफलता के पीछे श्रम का बड़ा हाँथ है। "
एडिसन ने कहा , " तुम्हारा यह कथन सही है , पर हर स्थान पर यह लागू नहीं होता। सड़क के किनारे कार्यरत उस दुबलेपतले बूढ़े आदमी को देखो जो दिनभर कठोर श्रम करता है , फिर भी भरपेट भोजन नहीं पाता , इसलिए असफलता के पीछे भी कठोर श्रम छिपा है। " टामस एलावा एडिसन का तार्किक उत्तर सुन कर मित्र भी दंग रह गया।
क्लबों, दावतों एवं पार्टियों में जाना एडिसन को बिलकुल पसंद नहीं था। एक बार उन्हें किसी पार्टी में जबरदस्ती बुला लिया गया। उनकी इच्छा हुई की सब की नजर से बच कर चुपके से चला जाऊं और अपनी प्रयोगशाला में जा कर काम करूँ। वह दरवाजे के पास टहलते हुए बाहर निकलने का अवसर खोज ही रहे थे की उनका एक अभिन्न मित्र वहां आ गया और बोला , " इस भीड़भाड़ में मैं आपसे कोई बात नहीं कर पाया। आजकल आप किस विषय मे सोच रहें हैं।" फिलहाल यहां से खिसकने के विषय में , " एडिसन ने हँसते हुए कहा। "
2. न्यूटन के तीन चश्में
गुरुत्वाकर्षण शक्ति का पता लगाने वाले प्रसिद्ध भौतिकवादी सर आइजक न्यूटन 3 चश्में रखते थे। एक व्यक्ति ने जब इसका कारण पूछा तो वह बोले, " एक चश्मा पास की वस्तुओं को देखने के लिए, दुसरा दूर की चीजें देखने के लिए और तीसरा इसलिए की ये दोनों खो जाए तो उन्हें खोजने के लिए। "
एक बार न्यूटन अपनी प्रयोगशाला में बैठे अपने प्रयोगों के आधार पर शोधपत्र तैयार कर रहे थे। अचानक किसी आवश्यक कार्य से वह प्रयोगशाला से बाहर गए।
वापस आ कर देखा तो उनके पालतू कुत्ते टामी ने जलता हुआ लैम्प टेबल पर गिरा दिया था , जिससे सारे कागजात जलकर राख हो गए थे। जले हुए कागज देख कर न्यूटन व्यथित हुए पर फिर वह बोले, " टामी तू नहीं जानता की तूने मेरी कितनी बड़ी हानि कर दी है , " यह कह कर वह पुनः अपने कार्य में जुट गए।
3. हर्शेल का अनोखा अनुभव
सुप्रसिद्ध खगोलशाष्त्री हर्शेल एक रात विलियम बीब के साथ खुले आसमान के नीचे बैठे थे। दोनों अंतरिक्ष की और देखते हुए चर्चा कर रहे थे की ब्रम्हांड में करोड़ों सूर्य हैं , तारें हैं , जिनमें से कइयों के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में लाखों वर्ष लग जाते हैं।
अंत में हर्शेल बोले , " मैं समझता हूँ अब हम अपने को काफी छोटा अनुभव करने लगे हैं , सो, चल कर सो जाएँ।
4. मार्कोनी का बाल प्रेम
बेतार के तार के अविष्कारक मार्कोनी को छोटे बच्चों से बड़ा प्यार था। एक बार वह एक मीटिंग में भाग लेने इटली गए। वहां एक बच्ची ने उन्हें अपनी एक टूटी हुई गुड़िया दुरुस्त करने के लिए दी।
मार्कोनी उस बच्ची की गुड़िया की मरम्मत करने में व्यस्त हो गए। इस बीच उन्हें मीटिंग में जाने का बुलावा भी आया तब भी वह उस बच्ची की गुड़िया ठीक करने के बाद ही वहां गए , ऐसे सहृदय थे मार्कोनी , एक बार एक बालक ने मार्कोनी को पत्र में लिखा , " क्या आप स्वर्ग में मेरे पिता से बात करा देंगे ? वह मुझे बहुत प्यार करते थे। आजकल मेरे पास पुस्तकें खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं। "
मार्कोनी उसे कैसे समझाते की बेतार के माध्यम से स्वर्ग में बातचीत नहीं होती। उन्होंने उस बालक को पैसे भेजकर उसकी आवश्यकता पूरी कर दी।
5. विनोदप्रिय आइंस्टाइन
सापेक्षवाद के जन्मदाता अलबर्ट आइंस्टाइन ने कहा था , " हम जो कुछ जानते हैं , वह कुछ भी नहीं है और जो कुछ हम नहीं जानते, वह असीम है। "
एक बार एक व्यक्ति ने आइंस्टाइन से कहा, " मुझे आपका 'काल की सापेक्षता' का सिद्धांत समझ में नहीं आया , बड़ा जटिल है आपका यह सिद्धांत। " आइंस्टाइन ने उत्तर दिया , " समय सापेक्ष है। इसको मैं एक सामान्य दृष्टांत से आपको समझाता हूँ , कल्पना कीजिये। आप एक कोयला मजदूर हैं। कठोर श्रम के कारण एक घंटा भी आपको एक दिन के समान मालुम पड़ेगा।
" अब आप एक दूसरी कल्पना कीजिए की आप एक अपूर्व नवयौवना के साथ बैठे हैं , आपको उसके साथ बैठे एक घंटा हो गया , किन्तु आप महसूस करेंगे की आपको पता ही नहीं चला। " ऐसे थे ये पांच टॉप वैज्ञानिक जिनके स्वभाव में विनोद झलकता है।
आपको ये जानकारी कैसे लगी कमेंट करके बताएं। धन्यवाद!