भ्रमरगीत एक भाव प्रधान काव्य है। इसमे वियोग श्रृंगार रस का मार्मिक चित्रण किया गया है। गोपियों की, सहृदयता, व्यंग्यात्मकता सर्वथा सराहनीय है। उन्होंने अपनी इसी कला के माध्यम से उद्धव जैसे विद्वान व्यक्ति को चुप करा दिया। इसमे कृष्ण से वियोग मे व्याकुल गोपियों का वर्णन किया गया हैं।
उद्धो कृष्ण का सन्देस लेकन गोपियों को ज्ञान देने के उदेश्य से वृंदावन आता हैं। और गोपियों के प्रेम को देखकर भावविभोर हो जाता हैं।