आज मैं बात करने वाला हूं, महाशिवरात्रि पर्व के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं। इसके बारे में जानते हैं महाशिवरात्रि पर्व हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है यह भगवान शिव के उपासको के लिए बहुत महत्व रखता है और यह फागुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन को माना जाता है। और भगवान शिव के विशालकाय रूप का उदय इसी दिन को माना जाता है । इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ विवाह क्या था। इंटरनेट से सर्च करके आपके पास आपके लिए लिख रहा हूं ।
महाशिवरात्रि का पर्व
महाशिवरात्रि को मनाने के पीछे है बहुत से कारण हैं जिसमें आपके साथ एक कारण शेयर कर रहा हूं दोस्तों जब सागर मंथन हुआ था उस समय अमृत की उत्पत्ति के साथ-साथ विष का भी उत्पत्ति हुआ था तो इसको धारण करने वाले भगवान शिव शंभू ने उस विश को पान किया जिस कारण से उनके कंठ का रंग नीला पड़ गया और उसी दिन से उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना जाने लगा भगवान नीलकंठ उस समय बहुत पीड़ा से ग्रसित थे।
उस पीड़ा से बचने के लिए उस समय देवताओं ने और वहां की प्रजाओं ने मिलकर उनका दुख दूर करने के लिए रात भर जगराता किया और संगीत नृत्य किए जिससे उनको नींद नहीं आए और वे भगवान शिव शंभू को जागते रहे सुबह होते होते विश् सांत हो गए भगवान शिव अपने उन भक्तों की निष्ठा को देखते हुए। उन्होंने आशीर्वाद दिया इस दिन को इस घटना का उत्सव है तो बहुत सारे लोगों का यही मानना है, कि शिवरात्रि इसी कारण मनाया जाता है ।
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महाशिवरात्रि |
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग जो कि स्वयंभू के नाम से जाने जाते हैं और इन्हें तो इसलिए कहा जाता है। क्योंकि यह स्वयं से उत्पन्न हुए हैं और मैं इन 12 जगहों के नाम इस पोस्ट में लिख रहा हूं। यहां पर जिनमें से पहला है सोमनाथ मंदिर जो कि गुजरात में है। दूसरा श्री शैल मल्लिकार्जुन मद्रास कृष्णा नदी के किनारे स्थित यह मंदिर मल्लिकार्जुन शिवलिंग के नाम से जाना जाता है।
इसी कड़ी में तीसरा है महाकाल उज्जैन अवंती नगर में स्थापित महाकालेश्वर शिवलिंग जहां शिव जी ने दैत्यों का नाश किया था और उसी कड़ी में चौथा है ओम्कारेश्वर मध्य प्रदेश ओंकार नर्मदा नदी के तट पर पर्वतराज की कठोर तपस्या से खुश होकर वरदान देते हुए यहां प्रकट हुए थे शिवजी जहां ईश्वर ज्योतिर्लिंग साबित हो गए। पांचवी कड़ी में नागेश्वर गुजरात नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध है। बैजनाथ बिहार के बैद्यनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग जिनको बैजनाथ के नाम से जाना जाता है।
भीमाशंकर Maharashtra धूमेश्वर महाराष्ट्र औरंगाबाद केदारनाथ हिमालय हरिद्वार 150 किलोमीटर दूरी पर स्थित हरिद्वार से। काशी विश्वनाथ मंदिर बनारस विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।
भारत में महाशिवरात्रि का पर्व कहां कहां पर मनाया जाता है
महाशिवरात्रि का पर्व मध्य भारत में मध्य भारत में सबसे ज्यादा महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में भगवान शिव के मंदिर में एक बड़ी मंडली महाशिवरात्रि की पूजा अर्चना के लिए आती है और इसी के नजदीक में जो नारा शिवनी के मठ मंदिर में जबलपुर के तिवाड़ा घाट नामक अन्य स्थानों पर भी यहां त्यौहार बहुत धार्मिक उत्साह के साथ मनाया जाता है।
कश्मीर - कश्मीर में ब्राह्मणों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार होता है शिव और पार्वती विवाह के रूप में हर घर में यह मनाया जाता है और महाशिवरात्रि के उत्सव 3 से 4 दिन पहले यहां पर शुरू हो जाता है उसके 2 दिन बाद तक भी जारी रहता है ।
दक्षिण भारत - महाशिवरात्रि आंध्र प्रदेश कर्नाटक केरल, तमिलनाडु ,तेलंगाना में व्यापक रूप से मनायी जाती है
बांग्लादेश - बांग्लादेश में भी हिंदुओं के द्वारा यहां महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है वह चिरगांव चंद्र नाथ धाम के नाम से प्रसिद्ध है वहां पर जाते हैं पूजा अर्चना करने के लिए इस दिन उन लोगों की मान्यता है कि इसमें पुरुष को अच्छा को पत्नी , पत्नी को अच्छा पति मिलती है ।
नेपाल - पशुपतिनाथ महाशिवरात्रि नेपाल में विशेष रूप से पशुपतिनाथ मंदिर में व्यापक रूप से मनाया जाता है महाशिवरात्रि के अवसर पर काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर पर भक्तजनों की भीड़ लगती है इस अवसर पर भारत समेत विश्व के अनेक स्थानों से जोगी एवं भक्तजन इस मंदिर में आते हैं , जिस युग (ब्रम्भाण्ड) की शुरुआत मानी जाती है। वहां भगवान शिव को लेकर ही मानी जाती है ऊर्जा की एक शक्तिशाली प्रकृति इस कारण से बनती है भौतिक अध्यात्मिक रूप से लाभकारी माना जाता है।
यहां पर शास्त्रीय संगीत और प्रशिक्षण दिया जाता है और प्रदर्शन भी करते हैं शिवरात्रि को महिलाओं के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। क्योंकि महिलाएं यहां पर उपवास रखती हैं और सुखी जीवन के लिए अपने पति की सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं । विवाहित महिलाएं भगवान शिव जी ने आदर्श पति के रूप में मनाया जाता है जैसे पति के लिए प्रार्थना करते हैं।
Shiv Shambhu के बारे में आपने टीवी पर भी देखा होगा और कथाओं में भी सुना होगा कि माता पार्वती ने उन्हें प्राप्त करने के लिए क्या-क्या किया था। तो मेरे हिसाब से महाशिवरात्रि का यह पर्व उन्हीं शिव जी की विवाह को याद करते हुए मनाया जाता है। अगर आपको सही पता हो सटीक जानकारी हो तो कमेंट करके बताएं अगर आपके दोस्त जानना चाहते हैं महाशिवरात्रि के बारे में तो उनके साथ शेयर करें।
शिवपुराण - Shiv Puran शिव के उपासक यह जानते ही होंगे की Shiv Puran Hota kya hai तो दोस्तों यहां पर मैं आपको बता दूं शिव पुराण में 24000 श्लोक हैं और जो कि 6 खंडों में बांटा हुआ है। यह खंड इस प्रकार हैं
- पहला है विदेश्वर संहिता
- वायु संहिता
- उमा संहिता
- कैलाश संहिता
- कोटि रुद्र संहिता और
- रूद्र संहिता
तो भगवान शिव के शिव पुराण को पड़ने पर हमें पता चलता है कि परमात्मा परम परब्रह्म परमेश्वर के रहस्य मयी महिमा के बारे में और उनके उपासना का विस्तृत वर्णन इस शिव पुराण में किया गया है। आपको यह जानकारी कैसी लगी मेरे साथ शेयर करें कमेंट बॉक्स में , थैंक्स फॉर वाचिंग थैंक्स , थैंक्स फॉर लाइक ओके गुड बाय ।