सिंघनपुर गुफा के चित्रों की चित्रकारी गहरे लाल रंग से हुई है। एक रेलवे इंजीनियर ने वर्ष 1910 सबसे पहले इसका पता लगाया था। सिंघनपुर के शैल चित्र विश्वविख्यात है।
इन चित्रो में चित्रित मनुष्य की आकृति कही तो सीधी और ड़ण्डेनुमा है और कहीं सीढ़ीनुमा है। इस काल में लोगों को लेखन की जानकारी नहीं थी। अतः इस समाज की जानकारी किसी लिखित अभिलेख के आदार पर नहीं , बल्कि पुरातत्व की सहायता, औजार, व अन्य शिल्प के आधार पर प्राप्त की जाती है।
![]() |
सिंघनपुर की गुफा |
आदिमानव के पास जीवन-यापन के बहुत कम साधन थे। धीरे-धीरे मानव मस्तिस्क का विस्तार हुआ और वह अपने ज्ञान को बढ़ाने लगा प्रकृति ने जो उसे साधन दिए थे, उसने उनका उपयोग करना ठीक से आरम्भ कर दिया। इस स्थिति में पहुचने के लिए उसे काफी समय लग गया।
इस दौरान पत्थरों को नुकीला कर औजार और हथियार बनाना सिख लिया। वनों से आच्छादित छत्तीसगढ़ मे आज भी कही कही चट्टानों और वनों में पर प्राचीन काल की विभिन्न कला के रूप में दिखाई देते हैं।
शैलचित्र प्राचीन मानवीय सभ्यता के विकास को प्रारम्भिक रूप से स्पष्ट
करतें है। शैल चित्र मानव मन के विचारों को ब्यक्त करने के माध्यम थे। इससे पता
चलता है की इससे पहले उन्हें चित्र कला का ज्ञान था। तो दोस्तों आज के ज्ञान का
पिटारा बस इतना ही और अधिक जानकारी के लिये मेरे ब्लॉग का अवलोकन करते रहें।
इससे सम्बंधित जानकारी के लिए फेशबुक पर भी लॉगीन कर सकते हैं।