समुद्री, या महासागर, पृथ्वी की सतह के लगभग 70 प्रतिशत को कवर करते हैं और पानी में लवण की उपस्थिति का स्तर अधिक होती है, लेकिन यह की जलवायु, मीठे पानी के स्रोत से भिन्न हो सकता है। समुद्री जीवों को नमक के लगातार बदलते या स्थिर स्तर के अनुकूल होना चाहिए।
पृथ्वी में मुख्यतः जलीय एवं स्थलीय पारीस्थिक तन्त्र होते हैं। चुकी यहां पर मैं जल का पारिस्थितिकी तंत्र का वर्णन करने जा रहा हूँ। तो पहले जान लेते है की परिस्थिक चक्र क्या है।
पारिस्थितिक चक्र क्या है
यह एक परिकल्पना है जिसमे विभिन्न तत्वों के चक्र का अध्ययन किया जाता है। और चक को दर्शाया जाता है। यह पारितंत्र का अभिन्न अंग है। इसके अंतर्गत विभिन्न चक्र को दर्शाया जाता है। जैसे कार्बन चक्र ऑक्सीजन चक्र नाइट्रोजन चक्र आदि।
जल का पारिस्थितिकी तंत्र
समुद्र तालाब नदी में जलीय जीव निवास करते है उसे जल का पारिस्थितिक तंत्र कहा जाता है। इसमें निवास करने वाले जीव जंतु और पर्यावरण से परस्पर निर्भरता और उसके प्रभाव का अध्ययन ही जल का परिस्थिक तंत्र है। इसके अंतर्गत जीवो की निर्भरता और उसके पर्यावण पर योगदान क्या है इसकी जानकारी मिलती है।
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जल का पारिस्थितिकी तंत्र |
जलीय पारिस्थितिक तन्त्र के प्रकार
1. स्वच्छ जलीय पारिस्थितिक तन्त्र , 2. समुद्री जलीय परिस्थितिक तन्त्र, पारिस्थितिक तन्त्र चार प्रकार के होते हैं 1. वन (forest), 2. घास (grassland) 3. मरुस्थलीय (desert) 4. मानव निर्मित (man-made) जलीय पारिस्थितिक तन्त्र - जलीय पारिस्थितिक तन्त्र को समझाने के लिए यहां पर स्वच्छ जलीय पारिस्थितिक तन्त्र का उदारण के रूप में तालाब का पारिस्थितिक तन्त्र लिया गया है। जिसमें निम्नलिखित घटक पाये जाते हैं
स्वच्छ जलीय पारिस्थितिक तन्त्र
1.अजैविक घटक
तालाब के जल में कार्बन डाइऑक्साइड , ऑक्सीजन तथा अन्य गैसें व अकार्बनिक तत्व घुले रहते हैं। कुछ अजैविक घटक तालाब के निचले स्तर में पाये जाते हैं। सूर्य की ऊर्जा द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड ,जल तथा अजैविक घटकों की उपस्थिति में हरे जलीय पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का निर्माण करते हैं, जो विभिन्न जिवो के लिए आवश्यक होता है। इन पौधो व जीवों की मृत्यु के पश्चात जलीय पदार्थ विघटित होकर अजैविक घतको के रूप में पुनः पानी में मिल जाता है और यह पारिस्थितिक तन्त्र बराबर चलता रहता है।
2. जैविक घटक
इसके अंतर्गत सभी जीव ,जैसे - उत्पादक उपभोक्ता तथा अपघटनकर्ता आते हैं, जिनका वर्णन निम्न प्रकार है -
(1) उत्पादक
तालाब के पारिस्थितिक तन्त्र के प्राथमिक उत्पादक जलीय पौधे होते हैं, ये अग्र लिखित कर्म में बनते हैं।
- पादप प्लवक - ये हरे रंग के तैरने वाले शैवाल हैं। ये अति सूक्ष्म होते हैं। तालाब के जल में प्रकाश की किरने जहां तक पहुंच पाती है वहां तक इनकी संख्या काफी अधिक होती है। उदाहरण- माइक्रोसिस्टिस (Microcystis), युग्लीना (Euglena), वालवॉक्स (Volvoox), ऐनाबीना (Anabaena)
- रेशेदार शैवाल -पानी में तैरते हुए तथा किनारों की ओर घना जाल बनाते हैं हुए तालाबों में पाये जाते हैं। उदाहरण- ऊड़ोगोनियम (Oedogonium), स्पाइरोगाइरा (Spirogyra), कारा (Cara)
- निमग्न पादप -ये पौधे जड़ों द्वारा तालाब की जमीन से लगे होते हैं। उदाहरण- हाईड्रिला, वेलिसनेरिया।
- निर्गत पादप - इस पादप की जड़ें पानी की जड़ें पानी के अंदर तथा शेष भाग पानी के ऊपर निकला होता है। उदाहरण - रीड।
- सतह पर तैरने वाले पादप - ये पौधे पानी की सतह के ऊपर तैरते रहते हैं। उदाहरण- पिस्टिया
(2) उपभोक्ता
तालाब में पाये जाने वाले विभिन्न प्राणियों का समूह उपभोक्ता होता है।
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जल का पारिस्थितिकी तंत्र |
प्राथमिक उपभोक्ता (Primary consumer) - यह पादपों को खाते हैं इन्हे अग्र वर्गों में बांटा जाता है - 1. प्राणी प्लवक, ये तालाब के अंदर लहरों के साथ तैरते रहते हैं। उदाहरण- साइकलोप्स, डैफनीया ,कोपीपोड और रोटिफर। 2. तरणक - ये अपने चलन अंग की सहायता से तैरते हैं। 3.नितलक - तालाब के तल पर रहने वाले हैं।
द्वितीयक तथा तृतीयक उपभोक्ता (Secondary and tertiary consumers) - ये शाकाहारी जलीय जन्तु का भक्षण करते हैं। उदाहरण- मछली,मेढक,पानी का सांप।
सर्वोच्च उपभोक्ता (Higher consumers) - ये द्वितीयक तथा तृतीयक उपभोक्ता का भक्षण करते हैं।
उदाहरण- बड़ी मछली,बगुला,कछुआ।
अपघटक - जलीय पौधे तथा जन्तुओं के मरने के पश्चात अनेक सूक्ष्म जीवी (Microorganism) उनके कार्बनिक पदार्थों को साधारण तत्वों में बदल देते हैं। ये मुक्त तत्व पौधों के द्वारा उपयोग में पुनः ले लिये जाते हैं।
समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र
समुद्र में कई प्रकार के जिव पाए जाते है। और पृथ्वी का सबसे बड़ा जिव व्हेल भी समुद्र में पाए जाते है। पृथ्वी का 70 प्रतिसत भाग जल से भरा हुआ है। यह उच्च लवण होता है। और लाखो किस्म के जीव होते है। ये सभी एक दूसरे पर निर्भर करते है। और आपस में समुद्री चक्र का निर्माण करते है। यही समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र है।
तालाब का पारिस्थितिकी तंत्र
तालाब में पाए जाने वाले जीवो की निर्भरता और पर्यवरण पर प्रभाव को तालाब की परिस्थिक तंत्र कहा जाता है। छोटे जिव से लेकर बड़े जिव तालाब में एक दूसरे पर निर्भर होते है। उत्पादक उपभोक्त और उपघातक के रूप में रहते है। जैसे बड़े मछली छोटे मछली को खाते है। छोटे मछली लार्वा को अपना खाना बनाते है। इसी प्रकार सभी जीव एक दूसरे पर निर्भर होते है।
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