Chapter 3.2
मार्किंग विधियाँ और उसके प्रकार
आपका फिर से स्वागत है कल हमनें बात किया था मार्किंग टूल्स के बारे में आज हम बात करने वाले हैं उसी मार्किग टूल्स के विधियों और उसके विभिन्न प्रकार के बारे में तो चलिए शुरू करता हूँ -
मार्किंग विधि को हिंदी में चिह्न विधि भी कहा जाता है यहाँ पर किसी जॉब पर किस प्रकार चिह्न किया जाता है उसे बताया गया है हिंदी में जाने। मार्किंग विधियाँ और उसके प्रकार
मार्किंग विधियां क्या है ?
( What is marking method )
धातु पर खींची गई लाईने ठीक से दिखाई नहीं देता है इसके लिए जॉब पर रीमार्किंग विधियों को लगा दिया जाता है। लगाने की विधी या जिस प्रकार से उसे लगाया जाता है उसे उसकी विधी कहा जाता है।
मार्किंग विधियों के प्रकार (Types of marking method)-
इसको सफेद रंगाई भी कहा जाता है और सबसे अधिक प्रयोग में आने वाली विधि है। इसका प्रयोग कास्टिंग और क्लोजिंग में किया जाता है। कास्टिंग और क्लोजिंग के सतहों पर चिह्न करने के लिए।
2. साधारण चाक का मिथाईलेटेड स्प्रिट में घोल -
साधारण चाक का प्रयोग मिथाईलेटेड स्प्रिट में घोलकर लेप बनाकर इसका प्रयोग किया जाता है और इस विधी के द्वारा मार्किंग एकदम आसान हो जाता है परन्तु इसके लेप को सूखने में ज्यादा समय लगता है।
3. कॉपर सल्फेट(copper sulphate) -
कॉपर सल्फेट जिसको निला थोथा भी कहा जाता है को पानी में घोलकर एक निला रंग का घोल प्राप्त किया जाता है। इसको अभिक्रियाशिल बनाने के लिए इसमें एक दो बूंद सल्फ्यूरिक अम्ल का घोल भी मिला दिया जाता है। इस घोल को किसी जॉब पर लगाने से उस सतह का रंग कॉपर के रंग में बदल जाता है। इसका प्रयोग केवल स्टील के कॉपरिंग में किया जाता है। इससे एकदम सहीं चिन्हन किया जा सकता है। इस लेप को लगाने से पहले सम्बंधित डिश आदि को ठीक से साफ करना पढ़ता है।
4. ले आउट स्याही -
यह बाजार में आसानी से उपलब्ध है और जिसे वस्तु या धातु की सतह पर आसानी से फैला दिया जाता है। यह जल्दी ही सुख जाता है। इस पर चिह्न बहुत साफ सुथरी होती है ले आउट स्याही को लगाने से पूर्व स्याही को ठीक से साफ कर लेना चाहिए।
इस पोस्ट में बस इतना ही अगले पोस्ट में हम जानेंगे विभिन्न चिह्न टूल्स के बारे में पूरे डिटेल्स के साथ अगर आपको उस पोस्ट में सीधा जाना है तो आप नीचे लिंक के माध्यम से वहां जा सकते हैं।