हैलो दोस्तों पिछले पोस्ट में मैंने आपको बताया था मार्किंग टूल्स के पहले प्रकार स्क्राईबर के बारे में आज मैं मार्किंग टूल्स के दूसरे प्रकार पंच के बारे में बताने वाला हूँ जो की इस प्रकार है।
पंच के प्रकार के बारे में जानने से पहले मैं आपको बता दूँ टाटा कम्पनी का टाटा पंच नाम की गाड़ी भी आती है तो आज हम उस गाड़ी की बात नहीं करने वाले हैं आज हम बात करें पंच के बारे में उससे पहले जानें पंच क्या है ? उसके बारे में बता दूँ -
पंच क्या है भाग 1 |
पंच क्या है
पंच एक प्रकार का औजार है जो की किसी जॉब पर पंचिंग के लिए उपयोग किया जाता है। पंच एक कठोर धातु की छड़ होती है जिसके एक सिरे पर टिप होती है और दूसरे पर फ्लैट होता है। इसका उपयोग किया जाता है, तो संकरी छोर को लक्ष्य सतह ओर रखा जाता है और दूसरी ओर को हथौड़ा से मारा जाता है।
पंचिंग क्या है
स्थाई रूप से चिह्न के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक औजार है। जिसका उपयोग हैमर के द्वारा ठोक कर किया जाता है तथा यह बहुत ज्यादा आवश्यक होता किसी भी प्रकार के ऐसे काम के लिए जिसमें जॉब को बार बार छूना पड़ता है और उसे एक स्थान से दूसरे स्थान घसीट कर ले जाना होता है इसके लिए अतः इसका प्रयोग करके छोटे छोटे खांचे बना दिए जाते हैं। जो की तभी मिट सकता है जब उसे मिटाया जाए अन्यथा यह कभी नहीं मिटता है।
स्क्राईबर से खींचे गए लाईन मिट जाते हैं या फिर मिट जाने का खतरा होता हैं क्योकि ये अस्थाई होते हैं और उतने ज्यादा दृढ़ता से जॉब पर नहीं टिक पाते हैं। इस कारण जॉब में स्क्राईबर के द्वारा खींची गयी लाईन को स्थाई बनाने के लिए पंच का उपयोग किया जाता है,
तथा पंच की सहायता से स्क्राईबर के द्वारा खींची गयी लाईन से 2.5MM की दूरी पर बिंदुओं के माध्यम से चिह्न किया जाता है। और इस क्रिया को पंचिंग कहते हैं।
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पंच साधारणतः हाई कार्बन स्टील के बनाए जाते हैं। इसके तीन भाग होते हैं। जहां पर हैंमर से चोट किया जाता है उस भाग को फ्लैट कहते है और इसका जिस भाग का उपयोग बिंदु बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है उस भाग को पाईंट कहते है।
यह नुकीला एवं हार्ड व टेम्पर किया होता है। बीच के भाग को बॉडी कहते हैं। यह भाग लर्निंग किया हुआ बेलनाकार या षठभुजाकार होता है।
पंच कितने प्रकार के होते हैं
इनकी बनावट तथा कार्य के आधार पर पंच नौ प्रकार का होता है -
- डॉट पंच ( Dot Punch )
- सेंटर पंच ( Centre Punch )
- प्रिक पंच ( Prick Punch )
- पिन पंच ( Pin Punch )
- ड्रिफ्ट पंच ( Drift Punch )
- बैल पंच ( Bail Punch )
- ऑटोमैटिक पंच ( Automatic Punch )
- सॉलिड पंच ( Solid Punch )
- हॉलो पंच ( Hollow Punch )
इस प्रकार से पंच को नौ प्रकारों में बांटा गया है। अब मैं आपको इसको एक एक करके बताने जा रहा हूँ आप इसे ध्यान से पढ़ें और समझने का प्रयास करें।
1. डॉट पंच - Dot Punch
यह पंच कास्ट स्टील की बनाई जाती है तथा इसके प्वाइंट को 60° के कोण पर रखा जाता है। इसका एंगिल कम होने से बिन्दू गहरे तथा कम व्यास के बनते हैं। इसका उपयोग स्थायी चिह्न करने के लिए विटनेस मार्क लगाने के लिए किया जाता है या कभी-कभी वृत्त का केंद्र लगाने के लिए किया जाता है। ऐसी ही एक डॉट पंच का चित्र ( IMG ) मैंने इस ब्लॉग में दिया है।
2. सेन्टर पंच - Centre Punch
यह पंच डॉट पंच से बड़ा होता है। इसके पॉइंट का कोण 90° रखा जाता है जिससे ड्रिल प्वाइंट आसानी से पंच द्वारा लगाये गए सेंटर में बैठ सके। इस पंच का उपयोग सुराखों ( HOLES ) के केंद्रों ( CENTRES ) को लोकेट ( LOCATE ) करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग चौड़ा केंद्र बनाने के लिए किया जाता है।
3. प्रिक पंच - Prick Punch
इस प्रकार का पंच का उपयोग जॉब की सतह पर कर्व खींचने के लिए किया जाताहैऔर इस पन्च का उपयोग डिवाइडर के केंद्र बनाने के लिए किया जाता है। इस पंच का प्रयोग शॉफ्ट मेटल में किया जाता है। जैसे - पीतल , ताँबा तथा एल्युमिनियम आदि।
इस पंच का कोण 30° का होता है। इसके पाईंट का कोण बहुत कम होने से डिवाईडर की नोक को बहुत यथार्थ ( Accurate ) स्थिति प्राप्त होती है।
4. पिन पंच - Pin Punch
इस पंच का प्रयोग चिह्न के लिए नहीं किया जाता है बल्कि जॉब में फंसी हुई डॉबेल पिन या टेपर पिन को निकालने के लिए किया जाता है। इस पंच की नोक नहीं होती बल्कि उसके स्थान पर एक बेलनाकार पिन होती है, जिसकी लम्बाई जॉब की आवश्यकता को पूरा करती है।
5. ड्रिफ्ट पंच - Drift Punch
इस प्रकार के पंच का प्रयोग मुख्य रूप से फिनिशिंग के लिए किया जाता है। इस पंच के नोक नुकीली ना होकर फ्लैट होती है और यह विभिन्न आकारों में जैसे- वर्गाकार , आयताकार, गोल या फिर किसी अन्य आकार की भी हो सकती है। इसका प्रयोग पतली चादर में छेद करने के लिए भी किया जाता है।
6. बेल पंच - Bell Punch
इस पञ्च का बाहरी आवरण एक घण्टी के समान होता है। इसके ठीक बीच में एक पंच लगा होता है और इस पंच का प्रयोग किसी बेलनाकार वस्तु में पंच करने के लिए किया जाता है।
इस प्रकार के पंच स्प्रिंग के द्वारा ऊपर उठे होते हैं। जब भी किसी बेलनाकार वस्तु का केंद्र ज्ञात करना होता है पंच को उस वस्तु के ऊपर लम्बवत टिकाते है और फिर उसे ऊपर से मारते हैं इस प्रकार के चोट करने पर उसके मध्य में एक पंच का निशान बन जाता है और इस प्रकार मार्किंग हो जाता है।
7. ऑटोमैटिक पंच - Automatic punch
इस पंच में पंचिंग के लिए हैंमर से चोट लगाने की आवश्यकता नहीं होती है इसी लिए इसे ऑटोमैटिक पंच कहा जाता है। यह पंच एक खोखली बेलनाकार बॉडी ( BODY ) रखता है। जिसे बाहर से नर्ल किया होता है। इसके ऊपर एक कमानी स्प्रिंग युक्त कैप होती है। इसे भी नर्ल किया गया होता है।
इस कैप को नीचे दबाने पर कमानी स्प्रिंग एक हैमरिंग मैकेनिज्म को मुक्त ( RELEASE ) करता है। जो पंच के नीचले प्वाइंट पर केंद्र बनाने के लिए आघात करता है। कैप को घुमाकर ऊपर करने से निशान गहरा आता है तथा घुमाकर नीचे करने से निशान कम गहरा आता है।
8. सॉलिड पंच - Solid punch
इस पंच का उपयोग किसी शीट या गर्म लोहे के पीस में आर-पार छेद करने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा आप एक ही साईज के छेद नहीं कर सकते हैं ये असम्भव है। इसका प्रयोग शीट मेटल शॉप या बलेक्समिथी में किया जाता है। किसी भी जॉब में छेद करते समय उस जॉब के नीचे उसी पंच के अनुरूप डाई रखना आवश्यक है।
9. हॉलो पंच - Hollow punch
इस प्रकार के पंच अंदर से खोखले होते हैं और मुलायम वस्तुओं को छेद करने के काम में आते हैं। इसके प्वाइंट के परिधी को चारों ओर से ग्राउंड करके धारदार बना दिया जाता है।
इसका प्रयोग चमड़े की शीट, रबड की शीट, लैदराइट या गत्ता आदि में सुराख करने के लिए प्रयोग किया जाता है। बाजार में यह कई साइजों में मिलता है। इसका प्रयोग आप मार्किंग के साथ-साथ कटिंग में भी कर सकते है।