सेल्फ स्टार्टर की कार्यविधि के बारे में जानने से पहले मैं आपको इसके बारे में कुछ जानकारी आपको बता दूं-
सेल्फ स्टार्टर क्या है ?
किसी भी मोटर गाड़ी का वह भाग होता है जो गाड़ी को स्टार्ट करने के लिए बहुत जरूरी होता है और ये कोई भी बाईक, कार, ट्रक को चालू करने के लिए जरूरी होता है। जिसे स्टार्टर कहते हैं। जो की बैटरी के डीसी करेंट से चलता है जिसकी कैपेसिटी 12V होता है।
स्वीच को ऑन करते ही यह चालू हो जाता है इससे बैटरी के प्लस और माइनस सिरे जुड़े होते हैं। इसे इंजन स्टार्टर के नाम से भी जाना जाता है।
सेल्फ स्टार्टर की कार्यविधि -
मोटर गाड़ीयों की बैटरी का निगेटिव टर्मिनल केबल की सहायता से चैचिस के साथ अर्थ होता है। और उसका पॉजिटिव टर्मिनल स्टार्टर के मेन टर्मिनल से और जिसमें एक विशेष प्रकार का स्विच फिट किया जाता है।
सेल्फ स्टार्टर की बॉडी कास्त आयरन की बनी होती है। इसलिए जहां भी लगाया जाता है वहां उसे बैटरी के निगेटिव प्राप्त होता है।
जब स्टार्टिंग स्विच को ऑन किया जाता है तो करन्ट फील्ड क्वाइल में बहता है जो की मेन टर्मिनल से जुड़ी रहती है। यह करन्ट स्टार्टर बॉडी द्वारा अर्थ होकर निगेटिव प्राप्त करके अपना परिपथ पूरा करता है।
इस करन्ट के प्रभाव से आमने सामने के फील्ड कवाइलों में एक सामान्य चुम्बकीय ध्रुव एक दूसरे से दूर धकेलने का प्रयत्न करता है तथा इसके विपरीत असमान चुम्बकीय ध्रुव एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।
इसी सिद्धांत के आधार पर जब फील्ड क्वाईलों के बीच आर्मेचर को करन्ट प्राप्त होता है तो फील्ड क्वाईलों में चुम्बकीय बल रेखाओं के बीच आर्मेचर में घूमने पर बल पैदा हो जाता है तथा वह घूमने लगता है।
आर्मेचर में घूमने की गति दिए गए करन्ट की मात्रा एवं उस पर लिपटे ताँबे के तारों के घेरों की संख्या पर निर्भर करती है।
आर्मेचर शाफ्ट के एक सिरे पर फ्लाई व्हील घुमाने के लिए ड्राइव मैकेनिज्म लगा रहता है। जो की आर्मेचर के घूमने पर आगे बढ़कर फ्लाई व्हील को घुमाने लगता है। आपको ये जानकारी कैसे लगी मेरे साथ शेयर करें